लद्दाख स्टैन्डॉर्फ
भारत और चीन की सेनाओं के बीच 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बड़ी झड़पें हुईं। तभी से, दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।

भारतीय रक्षा मंत्री ने भारतीय सीमा पर चीनी आक्रमण के प्रयास की बात की

सिंह ने यह जानकारी साझा की कि इस "स्थिति पर चीन के साथ कूटनीतिक स्तर पर चर्चा की गई थी।" उनके अनुसार "सीमा पर शांति बनाए रखने" का निश्चय किया था।
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सिंह ने अपने ट्विटर में कहा कि 9 दिसंबर 2022 को पीएलए बलों ने तवांग सेक्टर के क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर "यथास्थिति को बदलने" का प्रयास किया था, लेकिन भारतीय सेना ने उसको रोक दिया था।
भारतीय रक्षा मंत्री के अनुसार भारतीय सेना ने पीएलए को रोका था और उसको वापस जाने पर मजबूर किया था। राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि दोनों पक्षों के कई सैनिक घायल हो गए थे, लेकिन किसी भी भारतीय सैनिक की मौत नहीं हुई और कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ।
सिंह ने यह भी कहा कि भारतीय सेना भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करती रहती है और किसी भी तरह के आक्रमण को रोकने के लिए हमेशा तैयार है।"
सीमा घटना
एक भारतीय मीडिया ने सोमवार को सूत्रों के हवाले से खबर दी कि 9 दिसंबर को भारत और चीन के सीमा बलों के बीच तवांग सेक्टर में सीमा पर विवाद हुआ था। इस मीडिया के अनुसार चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पहुंच गई, लेकिन भारतीय सेना ने उसको रोक दिया। दोनों पक्षों के कई सैनिक घायल हो गए।
मई 2020 में दोनों देशों की सीमा पर लद्दाख के पहाड़ी क्षेत्र में विवाद हुआ था। भारत और चीन ने इस क्षेत्र में तोपखाने, टैंक और विमान भेजे। लम्बी समय तक बातचीत करने के बाद बीजिंग और नई दिल्ली ने सीमा से सैनिकों को वापस लेना शुरू कर दिया।
हिमालय में भारत और चीन के बीच सीमांकित सीमा नहीं है, सिर्फ वास्तविक नियंत्रण रेखा है, इसलिए यह क्षेत्र दशकों से तनावपूर्ण हो रहा है। 1959 में भारत ने घोषणा की थी कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश राज्य के हिस्से को अपने नियंत्रण में लिया था। 1962 में भारतीय-चीनी विवाद शुरू हुआ, जिसके नतीजे में भारत के लद्दाख और अक्साई चिन का लगभग 38 हजार वर्ग मीटर का क्षेत्र चीनी नियंत्रण में आ गया।
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