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भारत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार आवश्‍यक है

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित की गयी, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख अंग है। वहां पाँच स्थायी सदस्यों सहित पंद्रह सदस्य होते हैं, और वे एक दूसरे के बाद उसकी अध्यक्षता करते हैं।
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भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भाषण देते हुए कहा कि "भारत आधुनिक वैश्विक परिस्थितियों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करना आवश्यक समझता है" ।
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद में समान प्रतिनिधित्व और इसकी सदस्यता का विस्तार तीन दशकों से संयुक्त राष्ट्र महासभा के एजेंडे में हैं। उनके अनुसार, जब सुधारों पर बहस चलती है, तब वास्तविक दुनिया तेज़ी से बदलती है और हम इसे आर्थिक समृद्धि, तकनीकी अवसर, राजनीतिक प्रभाव और विकास की प्रगति के रूप में देखते हैं।
इसके साथ भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों में स्थित सदस्य देशों को सुरक्षा परिषद में मजबूत और स्थायी प्रतिनिधित्व की ज़रूरत है । और आगे से उनके भविष्य को लेकर निर्णय उनकी भागीदारी के बिना नहीं किए जा सकते हैं।
सुधारों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता महामारियों, जलवायु परिवर्तन, विवादों और आतंकवाद जैसी प्रमुख चुनौतियों पर उसकी प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है। उन्होंने दावा किया कि इस परिषद सहित वैश्विक संस्थानों के काम करने के तरीकों को अधिक निष्पक्ष बनाना महत्वपूर्ण है।
सुब्रमण्यम जयशंकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारतीय अध्यक्षता के मौके पर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संगठन के मुख्यालय में हैं। वहां "सुधारित बहुपक्षवाद के लिए नई दिशा" और "आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण - चुनौतियां और आगे की राह" के विषयों पर चर्चा चल रही है। ये दोनों विषय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अध्यखता की प्रमुख प्राथमिकताएं हैं।
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