नालंदा बौद्ध परंपरा की भारतीय हिमालयी परिषद (IHCNBT) ने एक प्रस्ताव में कहा, "अगर चीन की सरकार राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दलाई लामा के लिए एक उम्मीदवार चुनती है, तो हिमालय के लोग इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। ऐसे राजनीतिक नियुक्त व्यक्ति को कभी भी श्रद्धापूर्वक प्रणाम न करें और किसी के भी ऐसे कदम की सार्वजनिक रूप से निंदा करें।"
एक पृष्ठ के प्रस्ताव में बताया गया है कि, कि पुनर्जन्म वाले आध्यात्मिक प्राणियों को पहचानने की प्रणाली नालंदा बौद्ध धर्म और मृत्यु के बाद जीवन के सिद्धांत के दर्शन के लिए एक अद्वितीय धार्मिक प्रथा है। परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म पर एकमात्र अधिकार गदेन फोडांग संस्था का है। किसी भी सरकार या किसी व्यक्ति को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
गौरतलब है, कि IHCNBT का गठन 2018 में किया गया था और इसमें भारतीय केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश, सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों का शीर्ष बौद्ध नेतृत्व शामिल हैं। संगठन का नाम दलाई लामा ने दिया था।