केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने नेशनल साइंस फाउंडेशन के विज्ञान और इंजीनियरिंग संकेतक 2022, संयुक्त राज्य अमेरिका की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत 2010 में सातवें स्थान पर था लेकिन अब स्थिति सुधार करते हुए भारत वर्ष 2020 में तीसरे स्थान पर आ गया है।
इसके साथ साथ उन्होंने यह भी कहा कि जहां 2010 में भारत के वैज्ञानिक पेपर्स की संख्या 60,555 थी जो अब 2020 में बढ़कर 1,49,213 पेपर हो गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने भारतीय मीडिया को कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) को आगामी केंद्रीय बजट 2023-24 में पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक मिलने की संभावना है।
पिछले बजट में, डीएसटी को 6,002 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आवंटित कुल 14,217 करोड़ रुपये के फंड का 42 प्रतिशत था, और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग को ₹ 5,636 करोड़ (40%) मिले, जबकि जैव प्रौद्योगिकी विभाग को ₹ 2,581 करोड़ (18%) मिले थे।
मंत्री ने आगे कहा कि भारत अब विज्ञान और इंजीनियरिंग में पीएचडी की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है, और पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) में भारतीय वैज्ञानिकों को दिए गए पेटेंट की संख्या भी 2018-19 में 2,511 से बढ़कर 2019-20 में 4,003 और 2020-21 में 5,629 हो गई है।
नेशनल साइंस फाउंडेशन संयुक्त राज्य अमेरिका की एक स्वतंत्र एजेंसी है जो विज्ञान और इंजीनियरिंग के सभी गैर-चिकित्सा क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान और शिक्षा का समर्थन करती है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा लाए गए ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2022 के मुताबिक भारत की जीआईआई रैंकिंग 2014 में 81 थी, जो अब वर्ष 2022 में 40 हो गई है।
केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भारत की वैज्ञानिक बिरादरी की निरंतर प्रयासों के लिए सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदान किए गए सक्षम वातावरण और काम करने की स्वतंत्रता को सारा श्रेय दिया।