एलोन मस्क के ट्विटर के नेता बनने के बाद से उपयोगकर्ता ट्विटर को छोड़ रहे हैं और भारतीय उपयोगकर्ता इसकी धीमी रफ़्तार की शिकायत कर रहे हैं। इसके साथ अधिक लोग भारत के माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo को चुन रहे हैं, जिसको हाल ही में नए उपयोगकर्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि मिली है।
कोविद-19 महामारी की शुरुआत में लॉन्च किये जाने के बाद प्लेटफॉर्म Koo की ज़िन्दगी में पिछले महीने डाउनलोड और ब्राजील में प्रवेश के कारण और इस सप्ताह 6 करोड़ डाउनलोड के कारण एक नया समय शुरू हुआ है। यह ट्विटर, गेट्र, ट्रुथ सोशल, मास्टोडन और पार्लर जैसे अन्य वैश्विक दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाला एकमात्र भारतीय माइक्रोब्लॉग बन गया। यूजर डाउनलोड के अनुसार Koo अब ट्विटर के बाद दूसरे स्तर पर है।
Koo इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है?
अब प्लेटफॉर्म के सीईओ के रूप में कार्य करते हुए Koo के सह-संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा कि भारतीय माइक्रोब्लॉग ऐसे सभी लोगों के लिए जगह है जो अक्टूबर के अंत में एलोन मस्क के प्रभावशाली मैसेजिंग ऐप के नेता बनने के बाद से ट्विटर में बदलावों की वजह से विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
उन्होंने Koo के नए भाषा विकल्पों पर भी प्रकाश डाला।
राधाकृष्ण ने शुक्रवार को Sputnik से एक विशेष बातचीत में कहा, "हमने इस कंपनी को लॉन्च किया था क्योंकि हमने देखा था कि दुनिया भाषाओं से विभाजित है। दुनिया के 80 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा अंग्रेजी नहीं है। लोग आसानी से एक-दूसरे को खोजने और बात करने में सक्षम नहीं हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि इस "भाषा बाधा" को दूर करने के लिए Koo ने "लोगों को अपनी मातृभाषा का प्रयोग करने में सक्षम करने के लिए बहुत गहन और उचित उपकरण बनाए।"
Koo और अन्य सोशल मीडिया ऐप्स में प्रमुख अंतर Koo की एक क्षमता है, जो आपको अपनी मातृभाषा में बात करने का, अन्य भाषाओं को अपनी भाषा में अनुवाद करने का और उपयोगकर्ताओं को एक ही समय में विभिन्न भाषाओं में पोस्ट करने का अवसर प्रदान करता है।
Koo के संस्थापक ने कहा, "अन्य सामाजिक प्लेटफार्मों और Koo में सबसे बड़ा अंतर भाषा बाधाओं के बावजूद दुनिया को एकजुट करने का दृष्टिकोण और मिशन है।"
शायद यही कारण है कि Koo जहां भी उपलब्ध है, वहां लोकप्रिय बनता है। ऐप में अब यूएस, यूके, सिंगापुर, कनाडा, नाइजीरिया, यूएई, भारत और नेपाल सहित 100 से अधिक देशों के उपयोगकर्ता हैं।
ट्विटर की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि Koo टीम के लिए ऐप को अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया में उपलब्ध कराने का यह एक अच्छा अवसर है।
उन्होंने यह भी कहा, "जब लोग ट्विटर से हमारी तुलना करते हुए इस उत्पाद का उपयोग करेंगे, तो वे समझेंगे कि हम बहुत अलग हैं। हम उपयोगकर्ता की देखभाल करते हैं और हम उनको मुफ्त में इंटरनेट की सब से अच्छी पेशकशों तक पहुँच देना चाहते हैं।"
राधाकृष्ण ने बताया, "ट्विटर सत्यापन और संपादन कार्यक्षमता जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए उपयोगकर्ताओं से शुल्क लेता है, जो हम मुफ्त में प्रदान करते हैं। हमारी साइट पर उपलब्ध हमारे एल्गोरिदम में पारदर्शिता सहित हर विषय को लेकर हमारी नीतियां पारदर्शी हैं।"
Koo क्या खास करता है?
अब यह प्लेटफार्म अंग्रेजी, हिंदी, इतालवी, तुर्की, स्पेनिश, हौसा, जर्मन, फ्रेंच, बहासा (इंडोनेशियाई) और पुर्तगाली सहित 21 विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है। पुर्तगाली पिछले महीने ब्राजील के बाजार में लॉन्च के बाद दिखाई दी।
इसके अलावा भारत के हिंदी भाषी उत्तरी राज्यों में बहुत लोग Koo चुन रहे हैं, क्योंकि वहां बहुत लोगों को अंग्रेजी बोलने और लिखने के स्थान पर दूसरी भाषा का प्रयोग करना पसंद है। सितंबर में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, Koo दुनिया का सबसे बड़ा हिंदी माइक्रोब्लॉग है, जिस में हर महीने 1 करोड़ से ज्यादा पोस्ट किए जाते हैं।
लेकिन ऐसी अन्य विशेषताएं हैं जो उपयोगकर्ताओं को Koo को पश्चिमी सोशल मीडिया नेटवर्क के लिए वास्तविक प्रतिद्वंद्वी समझते हैं। राधाकृष्ण के अनुसार, इनमें ये विशेषताएं शामिल हैं:
- क्रिएटर्स के लिए अनुकूल
- पारदर्शी और तटस्थ
- सुविधाओं से भरपूर और मुफ्त: अपने उपयोगकर्ताओं से शुल्क लेने के लिए तैयार ट्विटर की तुलना में Koo बहुत अलग जुगतें मुफ्त में प्रदान करता है
- भाषा-सक्षम कीबोर्ड
- बहुत संपादन सुविधाएँ (Koos का संपादन, Koos को रखना और शेड्यूल करना, 500 अक्षरों की सीमा और अन्य)
- लंबे वीडियो: उपयोगकर्ता 512 एमबी तक लंबे वीडियो अटैच कर सकते हैं
- और तस्वीरें: दस तक
- एमएलके (बहु-भाषा कूइंग): उपयोगकर्ता एक साथ 20 से अधिक भाषाओं में कू कर सकते हैं
- मुफ्त में स्व-सत्यापन: उपयोगकर्ता 15 सेकंड तक अपने को सत्यापित कर सकते हैं और यह साबित कर सकते हैं कि गुमनाम रहते की स्थिति में भी खाते का प्रयोग कोई वास्तविक व्यक्ति करता है।
- लोगों की फ़ीड: लोग अन्य लोगों को आसानी से ढूंढने और फॉलो करने के लिए फ़ीड करते हैं
पीली चिड़िया का अर्थ क्या है?
Koo सीईओ ने Sputnik को प्रतिष्ठित लोगो की कहानी बताई, जिस में एक छोटी कैनरी से मिलती-जुलती पीले रंग की एक चिड़िया शामिल है।
क्यों चिड़िया?
"घरेलू कबूतर संदेश की आधुनिक प्रक्रिया के अग्रदूत हैं! टेलीफोन के ईजाद से पहले वे लंबी दूरी पर संचार करने का सबसे विश्वसनीय तरीका थे। Koo एक ऐसा प्लेर्फोर्म है जहां सूचना, विचार और राय का आदान-प्रदान किया जाता है। हमने सोचा कि एक चिड़िया वास्तव में दिखाएगी कि हम क्या प्रदान कर सकते हैं," Koo सीईओ ने समझाया।
क्यों Koo नाम?
राधाकृष्ण के अनुसार, "Koo एक पक्षी की आवाज का प्रतीक है और सबसे अच्छी तरह पक्षी का प्रतिनिधित्व करता है, इसके साथ इसका रंग सकारात्मक और खुश दिखता है और नाम याद रखने को आसान करता है।"
क्यों पीला?
Koo सीईओ ने कहा कि पीले रंग की मदद से उत्साह की सकारात्मक भावना दिखाई देती है। यह Koo को खुशी भरी प्लेटफार्म को बनाने की हमारी दृष्टि के लिए अनुकूल है।
विस्तार की योजनाएं
राधाकृष्ण ने Sputnik को यह भी बताया कि बेंगलुरु स्थित कंपनी अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप जैसे बाजारों में भविष्य में विस्तार की योजना बना रही है।
"Koo में अब कई भाषाएँ हैं जो दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में बोली जाती हैं - बहासा (इंडोनेशिया के लिए), थाई (थाईलैंड के लिए), वियतनामी (वियतनाम के लिए), तागालोग (फिलीपींस के लिए)। हम वैश्विक भाषाओं को लॉन्च करते रहेंगे ताकि लाखों लोग एक दूसरे के साथ बेहतर तरीके से संवाद कर सकते हैं," राधाकृष्ण ने जोर देकर कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि "हम दक्षिण अमेरिका, यूरोप और अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और कनाडा में बड़ी अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया में भी अपनी उपस्थिति का विस्तार करेंगे।"