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आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा पर फोकस के साथ भारत की यूएनएससी अध्यक्षता का हुआ समापन

भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की गैर-स्थायी सदस्यता 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो वर्ष के कार्यकाल के उपरांत गुरुवार को भारत की अध्यक्षता पूर्ण हो गई।
इस अवसर पर वर्ष की अंतिम निर्धारित बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, "हम आतंकवाद जैसे मानवता के दुश्मन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने से कभी नहीं हिचकिचाए।"
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यूएनएससी में सुधारों की आवश्यकता पर बोलते हुए कंबोज ने कहा, "हम इस तथ्य से पूरी तरह अवगत थे कि सुरक्षा परिषद में सुधार समय की आवश्यकता है। यह विश्वास हमारे कार्यकाल के बाद ही मजबूत हुआ है। जैसा कि इस कार्यकाल के लिए परिषद से बाहर निकल रहे हैं, हम आश्वस्त हैं कि जितना अधिक परिवर्तन का विरोध होगा, उतना ही अधिक इस निकाय के निर्णयों की प्रासंगिकता और विश्वसनीयता खोने का खतरा होगा। भारत की पिछले दो वर्षों के दौरान, हमने शांति, सुरक्षा और समृद्धि के समर्थन में ही बात की है ।
"परिषद की ओर से, मैं पांच निवर्तमान सदस्यों, अर्थात् भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे के लिए परिषद की ईमानदारी से सराहना करना चाहूंगी। मैं सुरक्षा परिषद में उनकी कार्यकाल के दौरान उनकी कड़ी मेहनत और योगदान की सराहना करती हूं," कंबोज ने कहा।
संयुक्त राष्ट्र में आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे के राजनयिकों ने भी समापन सत्र को संबोधित किया क्योंकि वे भी दो साल के कार्यकाल के बाद, परिषद से बाहर हो जाएंगे।
भारत यूएनएससी में स्थायी सदस्यता में नए राष्ट्र के प्रवेश के लिए वकालत करता रहा है। जिसका चीन के अलावा अन्य सभी स्थायी सदस्य ने भी कई बार समर्थन किया है।
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