चीन के साथ सीमा पर तैनात करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 120 नई "प्रलय" बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीदारी को मंजूरी दी।
एक भारतीय मीडिया ने रिपोर्ट किया कि ये मिसाइलें वायु सेना और नौसेना को प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा, स्थानीय मीडिया के अनुसार, इन बैलिस्टिक मिसाइलों की खरीदारी और तैनाती को देश बड़े विकास के रूप में समझता है।
क्या है प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल?
'प्रलय' एक बैलिस्टिक सतह से सतह मिसाइल है, जो 500 किलोमीटर दूर तक निशाना साधने में सक्षम है। उसके गैर-परमाणु वारहेड का द्रव्यमान 350 से 700 किलोग्राम है। 'प्रलय' को बनाने के लिए सालिड प्रपेलन्ट रॉकेट मोटर और अन्य नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
इसके अलावा, मिसाइल की रफ्तार करीब 2,000 किमी प्रति घंटा है। अगर जरूरत पड़ेगी, वह लॉन्च के बाद हवा में ही अपना रास्ता बदल सकती है और उसका लॉन्च मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।
रॉकेट का ईजाद 2015 से पिछले साल तक किया गया था। उसके सफल परीक्षण 2021 के अंत में दिसंबर में किए गए। "प्रलाय" का इस्तेमाल करने का उद्देश्य संचार केंद्रों, वायु रक्षा चौकियों, दुश्मन के हवाई अड्डों को नष्ट करना हे। उसका प्रयोग रात में भी दुश्मन पर हमला करने के लिए किया जा सकता है।
लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के पास ही नहीं, चीन के पास भी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। उनकी संज्ञा डोंगफेंग है और उनका संचालन चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स द्वारा किया जाता है।
याद दिलाएं कि भारतीय-चीनी पिछली झड़पें 9 दिसम्बर को हुई थी। भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने Sputnik को बताया कि अरुणाचल प्रदेश राज्य में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में कई सैनिक घायल हो गए। घटना के कुछ समय बाद 20 दिसंबर 2022 को, दोनों भारतीय सेना के और चीन के पीएलए के कमांडरों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल करने के लिए चीनी पक्ष के चुशुल-मोल्दो बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर एक बैठक की।