भारत-रूस संबंध
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2022 भारत-रूस संबंध: हर कीमत पर एक नए स्तर नए आयाम को छुंता

उन भविष्यवाणियों के बावजूद, कि यूक्रेन संकट का रूस-भारत के संबंध पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, उन दोनों ने बहुपक्षवाद और साझा लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान किया है।
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अपनी पहली ऐसी टिप्पणी देते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नवंबर में भारतीय लोगों की बड़ी प्रशंसा करके उन्हें "बहुत प्रतिभाशाली" और "उद्देश्यपूर्ण" कहा। उनके अनुसार वे देश के विकास में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने में मदद करेंगे।
उन्होंने रूस और भारत के मजबूत संबंधों पर भी जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच "विशेष संबंध हैं जो दशकों से घनिष्ठ सहयोग की संबंधों के नींव पर बनी है।"
पुतिन ने यह भी कहा कि रूस और भारत के संबंधों में कभी कोई बड़ी समस्या नहीं दिखाई दी है। और वे हमेशा एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि यह स्थिति भविष्य में भी जारी रहेगा ।
अशांत भू-राजनीतिक वातावरण के बावजूद भारत और रूस ने मजबूत और लचीला द्विपक्षीय संबंध बनाए रखा है, जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गहरे विश्वास के आधार पर बना है।
जबकि भारत ने लगातार शत्रुता को समाप्त करने का और यूक्रेन संकट का कूटनैतिक समाधान खोजने का आह्वान किया है, भारत-रूस संबंध मजबूत रहे हैं। और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके समकक्ष सर्गे लवरोव के बीच लगातार बैठकें आयोजित की जाती हैं।
2022 में कई महत्वपूर्ण घटनाएं भी हुई, जिन्होंने दिखाया कि भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं।

भारत के शीर्ष पांच व्यापार भागीदारों में से रूस

रूस से ऊर्जा और उर्वरक की खरीदारी में वृद्धि के कारण उम्मीद है कि भारत और रूस के बीच व्यापार लक्ष्य के समय से पहले 30 अरब डॉलर तक पहुंचेगा। इस लक्ष्य को सब से पहले 2025 तक पूरा करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह तो सिर्फ इस साल के पहले नौ महीनों में ही व्यापार 27 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
इस वृद्धि के परिणामस्वरूप पिछले वर्ष के 25वें स्थान से ऊपर उठकर रूस भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
रूस में भारत का निर्यात भी बढ़ने लगा है और वित्तीय वर्ष तक इस निर्यात में 5 अरब डॉलर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
दोनों देशों के पास लगभग ऐसी 500 वस्तुओं की सूची है जिनको वे एक दूसरे से आयात करना चाहते हैं और अपने व्यापार को बढ़ाने और बनाए रखने में नियमित रूप से योगदान करते हैं।
7वें पूर्वी आर्थिक मंच के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्कटिक विषयों को लेकर रूस के साथ भारत की साझेदारी को मजबूत करने और रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।
उन्होंने यह भी कहा कि कोकिंग कोयले की आपूर्ति के माध्यम से रूस भारत के इस्पात उद्योग के लिए महत्वपूर्ण भागीदार बन सकता है और प्रतिभा की गतिशीलता में दोनों देशों का अच्छा सहयोग हो सकता है।

रक्षा सहयोग और पहली एस-400 रेजीमेंट की तैनाती

सितंबर में अमेरिका ने यूक्रेन संकट की स्थिति में भारत पर यह कहकर दबाव डालने का प्रयास किया था कि नई दिल्ली "समझ रही है" कि रूस "अब हथियार का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता नहीं है।"
अमेरिकी स्टेट्स डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा कि नई दिल्ली ने और वाशिंगटन "गहरी बातचीत" की थी। अमेरिका भारत को रक्षा विकल्पों में विविधता लाने में मदद करना चाहता था, क्योंकि वह रूस पर बहुत निर्भर करता है।
हालांकि भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि यूक्रेन संकट की स्थिति में रूस से सैन्य उपकरण और अतिरिक्त हिस्सों को प्राप्त करने में भारत को कोई कठिनाई नहीं मिली। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह मुद्दा भू-राजनीतिक तनाव की स्थिति में नया या बदला हुआ नहीं है कि भारत कहाँ से अपने सैन्य उपकरण और प्लेटफॉर्म प्राप्त करता है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी कहा कि भारत ऐसा देश नहीं है जिस पर दबाव डाला जा सकता है और इस देश की राय इसके राष्ट्रीय हितों पर आधारित है।
2022 की शुरुआत से कुछ दिन पहले, भारत और रूस ने राष्ट्रपति पुतिन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान अपने रक्षा संबंधों के विस्तार की घोषणा की थी। अमेरिकी प्रतिबंधों के जोखिम के बावजूद इस में भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की 5.4 अरब डॉलर की बिक्री का वर्णन शामिल था।
Military vehicles and equipment, parts of the S-400 air defense systems, are unloaded from a Russian transport aircraft, at Murted military airport in Ankara, Turkey, Friday, July 12, 2019
एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली के अलावा, भारत और रूस ने सैकड़ों हजारों रूसी एके-203 राइफलों के स्थानीय निर्माण करने के लिए 60 करोड़ डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे और अगले दशक तक सैन्य प्रौद्योगिकी पर सहयोग बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त समझौता किया था।
अक्टूबर में रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्जेंडर मिखेव ने कहा कि भारत की कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री 2022 के अंत तक कलाशनिकोव एके-203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार है।

तेल खरीदारी को लेकर पश्चिम के दबाव का भारत का विरोध

यूक्रेन में विशेष अभियान की शुरुआत के बाद से भारत ने अपने आर्थिक अवसरों को सीमित किए बिना अपने वैश्विक प्रभाव को अधिकतम करने के लिए तटस्थ राय बनाए रखने का प्रयास किया है।
अमेरिका और यूरोप के दबाव के बावजूद, भारत ने बढ़ती खाद्य और ईंधन की कीमतों को रखने के लिए रूसी तेल खरीदना जारी रखा है।
इराक और सऊदी अरब जैसे पारंपरिक निर्यातकों के स्थान पर रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया।
कस्टम के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से अब तक रूस से कच्चे तेल की भारत की खरीदारी की राशि 21 अरब डॉलर से अधिक है। भारत ने रूसी तेल खरीदने के अपने फैसले की रखा करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि देश के 1.3 अरब लोगों की अनुकूल शर्तों पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच हो।
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि प्रधान मंत्री मोदी ने छूट को देने की मास्को की इच्छा के कारण रूसी तेल पर निर्भर करना जारी रखने का निर्णय लिया।

बहुध्रुवीय दुनिया में मिलनसारिता

रूस और भारत ने बदलते भू-राजनीतिक वातावरण की स्थिति में बहुध्रुवीय दुनिया की वकालत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र, जी20 और एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंचों में लगातार एक साथ काम किया है।
उन्होंने कई मुद्दों पर सहयोग किया है और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में बहुपक्षवाद के महत्व पर जोर दिया है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने उभरती बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में भारत की भूमिका पर ज़ोर दिया है। उन्होंने यह इस दक्षिण एशियाई देश के मजबूत आर्थिक विकास के आधार पर और विभिन्न समस्याओं को हल करने में इसके व्यापक राजनयिक अनुभव के आधार पर कहा।
SCO Summit
उन्होंने यह भी कहा कि भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और संयुक्त राष्ट्र का सक्रिय सदस्य है और बहुध्रुवीय दुनिया के गठन के केंद्र में है।
दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अध्यक्षता संभालने के बाद, भारत 2023 में शंघाई सहयोग संगठन और जी20 की अध्यक्षता भी करेगा।
बहुपक्षवाद का मजबूत समर्थक होने के नाते, भारत को नियम-आधारित बहुपक्षीय आदेश को आगे बढ़ाने और अपनी वैश्विक नेतृत्व भूमिका को बढ़ाने का ऐतिहासिक अवसर मिलता है।

रुपया आधारित व्यापार समझौता

रूस के साथ रुपये में भारत के प्रतिबंधों से प्रभावित व्यापार को मजबूत करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (अरबीआई) ने UCO, YES, SBI, HDFC, केनरा और इंडसइंड सहित 14 भारतीय बैंकों को रूस में बैंकों के साथ सहयोग के लिए रुपया वोस्ट्रो खाते बनाने की अनुमति दी है।
भारतीय सरकार का अनुमान है कि रुपये के व्यापार तंत्र को पूरी तरह से लागू किए जाने के बाद रूस में निर्यात बढ़ेगा, क्योंकि रूसी खरीदार भारतीय तेल खरीदारी से प्राप्त रुपये का उपयोग अपनी खरीदारी के लिए कर सकेंगे।
अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, जो संकट और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सामना करते हुए बुरी स्थिति में है, श्रीलंका भी रूस के साथ रुपया आधारित व्यापार समझौते का उपयोग करेगा।

चीन एक सामान्य तत्त्व

वर्ष के दौरान चीन लगातार भारत और रूस की बातचीत का विषय रहा है, क्योंकि दो एशियाई देशों के बीच सीमा विवाद बढ़ा हुआ है।
वोस्टोक-2022 सैन्य अभ्यास में भारत की भागीदारी दिखाती है कि वह लंबे समय से अपने सहयोगी रूस को समर्थन देने के लिए तैयार है, भले ही इसका मतलब है कि उसको चीन के साथ सीमा विवाद या अमेरिका के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को कम करने या नज़रअंदाज़ करने की ज़रूरत हो।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि रूस सीमा विवाद कम करने और दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए भारत और चीन दोनों के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग करने में कामयाब रहा है।
अप्रैल में रूसी विदेश मंत्री लवरोव ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को स्थिर करने और "अंतर्राष्ट्रीय मामलों में समानता" को बढ़ावा देने के लिए रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय तंत्र पर सक्रिय रूप से काम करने के बारे में जयशंकर के साथ उनकी बातचीत हुई थी।
Russian Foreign Minister Sergei Lavrov, right, and his Indian counterpart Subrahmanyam Jaishankar shake hands

अफगानिस्तान पर ट्रोइका

रूस ने विस्तारित ट्रोइका में शामिल होने के लिए भारत को आमंत्रित करके अफगानिस्तान पर सहयोग को और मजबूत किया है। ट्रोइका एक समूह है जिसमें ईरान और मध्य एशियाई गणराज्य (सीएआर) भी शामिल हैं। यह पहली बार है जब भारत ने अफगानिस्तान पर ट्रोइका में भाग लिया है।
भारत, रूस, ईरान और सीएआर के प्रतिनिधियों के अलावा बैठक में चीन, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिभागियों ने भी भाग लिया।
नई ट्रोइका में भारत, ईरान और रूस शामिल हैं, और उसका लक्ष्य वास्तव में समावेशी सरकार बनाने के अपने वादे को पूरा करने के लिए तालिबान को प्रोत्साहित करना है।
यह संभव है कि ट्रोइका अफगानिस्तान में पाकिस्तान-चीन के द्वयाधिकार के प्रभाव का प्रतिभार करने में सक्षम होगी।

मोदी-पुतिन की मुलाकात/कॉल

22वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन इस वर्ष आयोजित नहीं किया गया था क्योंकि प्रधान मंत्री मोदी चुनावों और अन्य घरेलू मुद्दों में व्यस्त थे।
शिखर सम्मेलन स्थगित होने के बावजूद, मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पूरे वर्ष संपर्क में रहे। उन्होंने फरवरी से कम से कम पांच बार फोन पर बातचीत की, जब मास्को ने यूक्रेन में अपना सैन्य अभियान शुरू किया था।
दोनों नेताओं ने समरकंद में एससीओ के वार्षिक शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की, जहां उन्होंने यूक्रेन की स्थिति सहित कई द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
Modi Putin Meet
प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक समुदाय अब महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है, खाद्य और ऊर्जा संकट विकासशील देशों को असमान रूप से प्रभावित कर रहा है।
उन्होंने इस मौके पर कहा कि मैं जानता हूं कि आज का युग युद्ध का नहीं है। आज हमें इस बात पर चर्चा करने का मौका मिलेगा कि आने वाले दिनों में हम शांति की दिशा पर कैसे आगे बढ़ सकते हैं।

भारत-रूस संयुक्त वेंचर ब्रह्मोस का पहला निर्यात

इस साल भारत और रूस के संयुक्त वेंचर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को फिलीपींस में पहला खरीदार मिला।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने मिसाइल प्रणाली की तीन बैटरियों के निर्यात के लिए 37.5 करोड़ डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए, जिन में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर शामिल हैं। प्रत्येक बैटरी 10 सेकंड तक दो मिसाइल दागने में सक्षम है।
ब्रह्मोस मिसाइल एक अनूठा हथियार है जिसे पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों और भूमि आधारित प्रणालियों सहित विभिन्न प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है।
BrahMos display at the Army-2022 International Military-Technical Forum. August 16, 2022.

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा

वर्षों तक धीमी प्रगति के बाद, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) खोलने से सम्बंधित राजनयिक गतिविधि में वृद्धि हुई है। यह 7,200 किलोमीटर का परिवहन नेटवर्क है जिसका उद्देश्य रूस में सेंट पीटर्सबर्ग और ईरान और भारत में बंदरगाहों के बीच निर्बाध कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करना है।
नई दिल्ली ने आईएनएसटीसी के विकास में तेजी लाने के लिए मध्य एशियाई देशों, ईरान और रूस के साथ कई गतिविधियों का आयोजन किया है।
"चाबहार दिवस" ​​31 जुलाई, 2022 को मुंबई में आईएनएसटीसी की शुरुआत के रूप में मनाया गया।
जून 2022 में आईएनएसटीसी ने रूस से भारत में पहले माल के साथ काम शुरू किया।
माल सेंट पीटर्सबर्ग से रेल द्वारा रूस में कैस्पियन सागर बंदरगाह अस्त्राखान में पहुंचा, फिर जहाज द्वारा ईरान में कैस्पियन सागर बंदरगाह अंजली में और वहां से रेल द्वारा ईरान में बंदर अब्बास बंदरगाह में पहुंचा। अंत में वह मुंबई में भेजा गया।
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