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भारत में सिनेमा हॉल में बाहर से खाना ले जाने पर रोक की संभावना

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बिना स्वादिष्ट भोजन के सिनेमा जाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। ऐसे सिनेप्रेमी के मल्टीप्लैक्स में भी बाहर से लजीज व्यंजन ले जाकर लुत्फ उठाते हुए फिल्मी मनोरंजन के स्वप्न पर पानी फिर गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा कि सिनेमा हॉल मालिक को फिल्म देखने वालों को मल्टीप्लेक्स में बाहर से खाने-पीने की वस्तुओं को ले जाने से रोकने का अधिकार है।
जम्मू और कश्मीर के मल्टीप्लेक्स मालिकों द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा, कि सिनेमा हॉल उसके मालिक की निजी संपत्ति है ऐसे में मालिक को नियम और शर्तें तय करने का अधिकार है बशर्ते वह कानून के खिलाफ न हो।
"सिनेमा हॉल कोई जिम या पौष्टिक भोजन करने का स्थान नहीं है बल्कि मनोरंजन की जगह है। यदि कोई दर्शक जलेबी या तंदूरी चिकन हॉल के अंदर लाता है तो मालिक को यह तय करने का अधिकार है कि उसका हॉल गंदा न हो क्योंकि लोग खाकर सीट से हाथ पोंछ सकते हैं। ऐसे में खराब हुई सीट का खर्चा कौन देगा," पीठ ने कहा।
हालांकि सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सिनेमाघरों में सभी सिनेमा देखने वालों के लिए मुफ्त में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहिए।
दरअसल जम्मू कश्मीर मल्टीप्लेक्स मालिकों ने हाईकोर्ट के जुलाई 2018 में दिए एक फैसले को चुनौती दी थी जिसमें फिल्म दर्शकों को सिनेमा हॉल में बाहर का खाना अंदर ले जाने की अनुमति दी गई थी।
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