वोर्टेक्सा (Vortexa) के शिपिंग डेटा के अनुसार, भारत ने दिसंबर में चीन की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक और यूरोपीय संघ की तुलना में नौ गुना अधिक समुद्री रूसी कच्चे तेल का आयात किया। ऐसा पहली बार हुआ है, कि भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात चीन से अधिक हो गया है। चीन का आयात दिसंबर में 27 प्रतिशत घटकर 770,000 बैरल प्रति दिन हो गया था । आयात में यह बदलाव रूसी आयात पर 5 दिसंबर को G7 मूल्य सीमा लगाने के बाद से हुआ है।
वोर्टेक्सा द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में भारत द्वारा आयात किए गए प्रत्येक चार बैरल कच्चे तेल में से एक बैरल रूस से आया था।
रूस दिसंबर में लगातार तीसरे महीने भारत का शीर्ष कच्चा आपूर्तिकर्ता बना रहा, जिसने देश में रिकॉर्ड 1.17 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल भेजा। पिछले महीने की तुलना में यह 24% अधिक है। यह निजी क्षेत्र के परिशोधकों द्वारा किये गये आयात में उल्लेखनीय वृद्धि की बदौलत हुआ है, ऊर्जा शिपिंग डेटा से पता चला। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत का इराक और संयुक्त अरब अमीरात से कच्चे तेल का आयात थोड़ा कम हुआ, जबकि सऊदी अरब से आयात बढ़ा। इस बीच, भारत को कच्चे तेल के अमेरिका के निर्यात में 20 फीसदी की गिरावट आई है। भारत ने यूक्रेनी संकट के बीच रूसी कच्चे तेल के अपने आयात को बढ़ाने के अपने फैसले पर टिप्पणी करते हुए यह कहा है कि अपने 1.3 अरब नागरिकों को (जिनकी प्रति व्यक्ति आय 2000 डॉलर है) सस्ती ऊर्जा प्रदान करना सरकार का मौलिक कर्तव्य है।
मंगलवार को, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोप पर मध्य पूर्व से (जो भारत की ऊर्जा जरूरतों का प्राथमिक आपूर्तिकर्ता है) कच्चे तेल का भंडारण करके वैश्विक तेल की कीमतों को बढ़ाने का आरोप लगाया।