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2050 तक भारत में डैम की जल संग्रहण क्षमता घट जाएगी: रिपोर्ट

देश की नदियों में जम रही गाद के कारण सिर्फ बाढ़ का ही खतरा नहीं बढ़ा है, बल्कि इससे बांधों (डैम) की जल संग्रह क्षमता भी प्रभावित हो रही है, जिससे भविष्य में जल सुरक्षा, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए चुनौती पैदा हो सकती है।
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संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में लगभग 3,700 बांधों में गाद जमा होने के कारण वर्ष 2050 तक पानी की क्षमता में 26 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, गाद के जमा होने से किसी भी बांध या जलाशय की भंडारण क्षमता साल दर साल घटती जाती है।
बांधों में गाद जमने का सर्वाधिक नुकसान एशिया प्रशांत क्षेत्र में हो रहा है। इस क्षेत्र के डैम की जल संग्रह क्षमता में साल 2022 में 23 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
यही नहीं, गाद के कारण दुनिया भर में 50 हजार से ज्यादा बड़े डैम की जल संग्रह क्षमता 13 से 19 प्रतिशत तक कम हो चुकी है। जल, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय संस्थान (UNU-INWEH) ने अपने अध्ययन रिपोर्ट में दावा किया है कि वर्ष 2050 तक 150 देशों के 47,403 बड़े डैम की सम्मिलित जल संग्रह क्षमता 6,316 से घटकर 4,665 अरब घन मीटर रह जाएगी।
इस बीच, दुनिया का सबसे भारी बांध वाला देश चीन, अपने भंडारण का लगभग 10 प्रतिशत खो चुका है और 2050 तक और 10 प्रतिशत खो देगा।
इससे पहले भारत के केंद्रीय जल आयोग ने साल 2015 में बताया था कि देश में 50 साल से अधिक पुराने 141 बांधों में से एक-चौथाई अपनी भंडारण क्षमता का कम से कम 30 फीसदी खो चुके हैं।
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