भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने सोमवार को कहा कि संसद देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPI) में संशोधन पर विचार करेगी।
ये दलीलें दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आईं, जिसमें चुनाव आयोग को पैसे और जनशक्ति बचाने के लिए लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी ।
"देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान संशोधन और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में बदलाव पर विचार करना संसद का काम है," चुनाव आयोग के वकील सिद्धांत कुमार ने कहा।
उन्होंने शनिवार, रविवार और छुट्टियों के दिन चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर भी आपत्ति जताई और कहा, सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने पहले ही माना है कि चुनाव का कार्यक्रम एकमात्र विवेकाधिकार है।
"हम अपनी सीमा जानते हैं, याचिका में मांगी गई प्रार्थना पूरी तरह से चुनाव आयोग के दायरे में आती है। हम विधायक नहीं हैं," न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा।
दरअसल याचिका में कहा गया है कि सभी चुनाव एक साथ कराने के फैसले से पैसे की बचत होगी क्योंकि पार्टियों के लिए प्रचार की लागत कम होगी।
हालांकि साल 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्य विधानसभा दोनों के चुनाव साथ-साथ हो चुके हैं। पिछले दिनों संसदीय समिति ने संसद के दोनों सदनों में पेश अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि अगर देश में एक ही बार में सभी प्रकार के चुनाव संपन्न किए जाएंगे, तो सरकारी खजाने पर बोझ कम पड़ेगा और राजनीतिक दलों का खर्च कम होने के साथ-साथ मानव संसाधन का भी अधिकतम उपयोग किया जा सकेगा।