इस भूकंप से तुर्की में कम से कम 912 लोग मारे गए और पड़ोसी देश सीरिया में 371 लोगों की मौत हो गई है।
तुर्की-सीरियाई सीमा के पास सोमवार को आया भूकंप साल 1939 के बाद से सबसे शक्तिशाली रहा है, जब लगभग 33,000 लोग मारे गए थे और लगभग 100,000 लोग घायल हुए थे, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन कहते हैं।
तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष के अनुसार, सोमवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के कारण 912 लोगों की मौत हो गई और 5,385 लोग घायल हो गए। हालांकि पीड़ितों की कुल संख्या का अभी अंदाजा लगाना मुश्किल है। देश की सरकार ने आपातकाल लगाने की घोषणा की है।
तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष के अनुसार, सोमवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के कारण 912 लोगों की मौत हो गई और 5,385 लोग घायल हो गए। हालांकि पीड़ितों की कुल संख्या का अभी अंदाजा लगाना मुश्किल है। देश की सरकार ने आपातकाल लगाने की घोषणा की है।
"भूकंप के परिणामस्वरूप अलेप्पो, हमा और लताकिया में 371 लोगों की मौत और 1,089 के घायल होने की सूचना मिली है," सीरिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा।
तुर्की के गृह मंत्री सुलेमान शोयलू ने कहा कि भूकंप का बड़ा असर देश के 10 शहरों पर पड़ा है। ये शहर हैं- कहमानमारश, हैटे, गाज़िएनटेप, ओस्मानिये, अदियामान, सनलिउर्फ़ा, मलेटिया, अदाना, दियारबाकिएर और किलिस।
इस बीच, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने twitter पोस्ट में लिखा कि तुर्की में भूकंप के कारण जनहानि और संपत्ति के नुकसान से व्यथित हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना। घायल जल्द स्वस्थ हों। भारत तुर्की के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और इस त्रासदी से निपटने के लिए हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।
बता दें कि जनवरी 2020 में तुर्की के इलाज़िग में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 40 से अधिक लोग मारे गए थे और उसी वर्ष अक्टूबर में, एजियन सागर में 7.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 114 लोग मारे गए और 1,000 से अधिक घायल हुए थे।