नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कॉप ने सूर्य की सतह के एक बड़े हिस्से को सूर्य से टूटकर भंवर की तरह उसके उत्तरी ध्रुव के पास चक्कर लगाते हुए दिखाया। इस अप्रत्याशित घटना ने वैज्ञानिकों को उत्साहित करने के साथ परेशान भी किया है।
"ध्रुवीय भंवर के बारे में बात करें!" तमिथा स्कोव ने ट्विटर पर लिखा। "उत्तरी प्रोमिनन्स से सामग्री अभी मुख्य फिलामेंट से अलग हो गई और अब हमारे स्टार के उत्तरी ध्रुव के पास विशाल ध्रुवीय भंवर के रूप में घूम रही है। 55 डिग्री से ज्यादा सूर्य की वायुमंडलीय डाइनैमिक्स को समझना महत्त्वपूरण है!"
कोलोराडो के बोल्डर में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के सोलर भौतिक विज्ञानी और उप निदेशक स्कॉट मैकिन्टोश ने बताया, "हर सौर चक्र के समय वह एक बार 55 डिग्री अक्षांश पर बनता है और सौर ध्रुवों तक चलना शुरू करता है।"
"यह बहुत दिलचस्प है। इसको लेकर बड़ा 'क्यों' सवाल है। वह केवल एक बार ध्रुव की ओर क्यों जाता है और फिर गायब हो जाता है और फिर जादुई रूप से तीन या चार साल बाद ठीक उसी क्षेत्र में वापस आ जाता है?”
वैज्ञानिकों को विश्वास है कि उत्तर, सूर्य के मैग्नेटिक क्षेत्र से संबंधित है, लेकिन वे केवल पृथ्वी के सीमित "एक्लिप्टिक प्लेन" से सूर्य को देखने में सक्षम हैं, इसलिए सूर्य की गतिविधि अभी किसी रहस्य की तरह है।
हालांकि इस तरह की असामान्य गतिविधि सूर्य के 55 डिग्री अक्षांश पर हर 11 साल के सौर चक्र में होती है, यह सौर प्रोमिनेन्स यानी फिलामेंट भंवर की तरह इस क्षेत्र के पास चक्कर लगाते हुए देखा जाने वाला यह ऐसा पहली घटना है।
सूर्य अपने 11 साल के सौर चक्र में अपने सबसे सक्रिय चरण में आने वाला है और 2025 में उस चक्र के उच्चतम स्तर की अपनी गतिविधि तक पहुंच जाएगा। इस महीने के दौरान ही सूर्य ने कई फ्लेयर्स रिलीज की हैं जो इतनी शक्तिशाली थीं कि यह पृथ्वी पर शॉर्टवेव रेडियोस पर प्रभाव डालने तक को सक्षम थी।