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औपनिवेशिक अतीत की याद या जीत और समृद्धि का सबूत: कोहिनूर का असली अर्थ क्या है?

बकिंघम पैलेस के अनुसार चार्ल्स III की पत्नी कैमिला ने भारत के साथ घर्षण से बचने की इच्छा से राज्याभिषेक समारोह में पौराणिक 105-कैरेट कोहिनूर हीरे के साथ एक मुकुट पहनने से इनकार कर दिया था।
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यह हीरा 1849 में पंजाब के ब्रिटिश हुकूमत में विलय के बाद भारत से बाहर ले जाया गया था। भाजपा, भारत की सत्तारूढ़ पार्टी, ने पहले कहा था कि समारोह के दौरान हीरे का सार्वजनिक प्रदर्शन गणतांत्रिक देश की आबादी को "औपनिवेशिक अतीत की दर्दनाक यादों को दर्शाएगा"।

कोहिनूर क्या है?

प्रकाश यानी कि आभा या रोशनी का पर्वत के नाम से भी जाना जाता है कोहिनूर हीरा। यह एक 105 कैरेट का हीरा है, जो इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक है, और ब्रिटिश शाही परिवार के खजाने में सबसे बड़े हीरों में से एक है। प्रारंभ में, इसमें हल्का पीला रंग था, लेकिन 1852 में फिर से काटने के बाद, यह शुद्ध सफेद हो गया। अब यह शाही मुकुट में जड़ा हुआ है। इसे चार्ल्स की दादी ने अपनी राज्याभिषेक के दौरान पहना और जिसे आखिरी बार सितंबर 2022 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में प्रदर्शित किया गया था। यह मुकुट और कोहिनूर वर्तमान में ब्रिटिश राजकोष में रखा हुआ है।

कोहिनूर का लंबा इतिहास

कोहिनूर का ज्ञात आधुनिक इतिहास करीब सन 1300 से तय किया जाता है। लेकिन इस रत्न की उत्पत्ति, गुण और इतिहास के संबंध में बहुत विभिन्न किंवदंतियां भी प्रचालित हैं।
कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि सुल्तान अला-उद-दीन खिलजी (दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक) ने 1305 में भारत के मालवा के राजा से यह गहना लिया था, जिनके परिवार के पास कई पीढ़ियों से इसका स्वामित्व था। ऐसा माना जाता है कि मालवा राज कोहिनूर से अपनी पगड़ी को सुशोभित करते थे। और उनकी एक किंवदंती थी कि यदि कभी राजा की पगड़ी से "प्रकाश का पर्वत" गिर जाता, तो मालवा के सभी लोग गुलाम बन जाते।
कोह-ए-नूर के विवरण से मेल खाने वाले हीरे का सबसे पहला प्रामाणिक संदर्भ बाबरनामा में किया गया था, यानी भारत के पहले मुगल शासक बाबर के संस्मरण में 1526 में जब तैमूर लंग के वंशज की सेना ने भारत पर आक्रमण किया था।
यह हुमायूँ से शाहजहाँ तक विजेता से विजेता तक पारित किया गया था।
नादिर शाह के नेतृत्व में फ़ारसी सैनिकों द्वारा उत्तर पश्चिमी भारत पर भी आक्रमण बाद उन्होंने मुगलों के सभी खजाने को जब्त कर लिया था, एक किंवदंती है कि नादिर शाह ने कोह-ए-नूर को देखकर चिल्लाया: "प्रकाश का पर्वत!" (फारसी में "कोह-आई नूर")। और इस तरह रत्न को इसका दुसरा नाम मिला।
हीरा भारत तब लौटा जब अहमद शाह के वंशज शाह शुजा दुर्रानी, काबुल में अपने झगड़ालू भाइयों से बचते हुए इसे पंजाब वापस लाकर और महाराजा रणजीत सिंह - सिख साम्राज्य के संस्थापक - को शरण देने के बदले में उपहार के रूप में दिए थे।
फिर महाराजा रणजीत सिंह के मरने के बाद 1843 में, 5 वर्षीय दलीप सिंह ने गद्दी संभाली, कोहिनूर के मालिक होने वाले अंतिम भारतीय शासक बनकर।
1849 में अंग्रेजों ने दूसरा आंग्ल-सिख युद्ध जीता और लाहौर की संधि के तहत पंजाब के सिख साम्राज्य पर कब्जा कर लिया। 11 वर्षीय दलीप सिंह ने अपने राज्य और हीरे को देने पर हस्ताक्षर किए। 1849 में, लाहौर का कोषागार ब्रिटिश अधिकारियों के कब्जे में आ गया।
6 अप्रैल, 1850 को कोहिनूर भारत से चला गया और 2 जुलाई, 1850 को ब्रिटेन पहुंचकर रानी विक्टोरिया को अन्य भारतीय बेशकीमती सामानों के साथ सौंप दिया गया था।

कोहिनूर किसका है?

चार देशों - भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ब्रिटेन के स्वामित्व के दावों के बावजूद – आधुनिक दौर में यह यूनाइटेड किंगडम के स्वामित्व में है।
दिलचस्प बात यह है, कि 2016 में भारत के सॉलिसिटर-जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सिख युद्धों में रंजीत सिंह ने स्वेच्छा से हीरा अंग्रेजों को दिया था। उन्होंने कहा कि, 'यह कोई चोरी का सामान नहीं है।
फिर भी इसकी मौलिक संबद्धता अभी भी बहस का विषय है। और ऐसी भी अफवाहें फैली हुई हैं, कि यह रत्न श्रापित है और अपने मालिक को दुर्भाग्य पहुंचाता है।
कोहिनूर के सब मालिक इसे हमेशा अपनी सर्वोच्च समृद्धि और धन के रूप में मानते थे।
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