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भारत चीनी युआन में विदेशी व्यापार समझौते को हतोत्साहित करेगा: रिपोर्ट

तीन सरकारी अधिकारियों और दो बैंकिंग सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे राजनीतिक मतभेदों के कारण बैंकों और व्यापारियों से रूसी आयात के एवज में भुगतान के लिए चीनी युआन का इस्तेमाल करने से बचने के लिए कहा है।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत रूसी तेल और रियायती कोयले के शीर्ष खरीदार के रूप में उभरा है और व्यापार को व्यवस्थित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम को प्राथमिकता देगा।
इस मामले में सीधे तौर पर जुड़े एक अधिकारी ने मीडिया को कहा कि भारत विदेशी व्यापार के एवज में युआन लेकर सहज नहीं है लेकिन दिरहम में समझौता ठीक है।
वहीं दूसरे अधिकारी ने कहा कि जब तक दोनों देशों के बीच रिश्ते नहीं सुधरते, तब तक भारत युआन में सेटलमेंट की इजाजत नहीं दे सकता और सरकार ने अल्ट्राटेक सौदे के बाद केंद्रीय बैंक के अधिकारियों और बैंक अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा के लिए कहा है।
मामले की जानकारी रखने वाले दो बैंकिंग अधिकारियों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) युआन में विदेशी व्यापार निपटान के लिए उत्सुक नहीं है और पुष्टि की कि सरकार ने उन्हें मुद्रा का उपयोग करने से हतोत्साहित किया है।
हजारों भारतीय और चीनी सैनिक 2021 से विवादित हिमालयी सीमा पर तैनात हैं, जो पूरे रिश्ते पर असर डाल रहा है।
पिछले साल भारत के सबसे बड़े सीमेंट उत्पादक अल्ट्राटेक सीमेंट ने रूसी कोयले के एक कार्गो के लिए चीनी युआन का इस्तेमाल किया जिससे अधिकारियों के बीच कुछ चिंताएं पैदा हो गई थी क्योंकि लद्दाख की सुदूर गलवान घाटी में 2020 में घातक सीमा विवाद के बाद भारत और चीन के बीच संबंध बिगड़ गए थे।
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