नई दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि भारत बड़ा उपभोक्ता होने के नाते अपनी सभी संभावनाओं का प्रयोग करता है और निकट भविष्य में यह करना जारी रखेगा। इसके साथ उन्होंने कहा कि पश्चिम भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से नाराज नहीं है, क्योंकि अगर भारत रूसी तेल नहीं खरीदेगा, तो फारस की खाड़ी से अधिक तेल खरीदेगा और उस पर कीमतों में वृद्धि होगी।
पुरी ने कहा कि संप्रभु देश होने के नाते भारत के पास सबसे लाभदायक कीमतों पर सब कहीं से ऊर्जा प्राप्त करने का अधिकार है। उनके अनुसार भारत ने यानी दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपने ऊर्जा स्रोतों को 27 से 39 देशों तक बढ़ाया।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि पिछले साल के मार्च के अंत तक भारत ने रूस से सभी आयातित तेल का लगभग 0.2 प्रतिशत हिस्सा खरीदा था, हालांकि इसे खाड़ी देशों से या उन देशों से प्राप्त करना ज्यादा सस्ता था जो भौगोलिक रूप से करीब हैं।
इसके साथ पुरी ने बताया कि कुछ साल पहले भारत ने अमेरिका से बहुत कम ऊर्जा खरीदी थी, लेकिन आज उस देश से आए ऊर्जा की मात्रा की कीमत 20 अरब डॉलर है। उन्होंने कहा कि रूस से भारत के आयात में वृद्धि हुई है क्योंकि रूसी तेल पर कीमत अधिक लाभदायक है।