फरवरी में भारतीय और चीनी तेल आयात का लगभग 40 प्रतिशत और 20 प्रतिशत हिस्सा रूसी तेल बन गया है, चीन और भारत ने रूसी तेल के कुल निर्यात का 70 प्रतिशत से ज्यादा आयात किया, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा अभिकरण (IEA) ने अपनी रिपोर्ट में बताया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ, उत्तरी अमेरिका और एशिया और ओशिनिया के कुछ देशों में यूक्रेन में रूसी विशेष सैन्य अभियान से पहले आपूर्ति किए जाने वाले रूसी तेल के लिए पिछले साल वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी पड़ी थी।
उस स्थिति में बहुत एशियाई खरीदारों को रूस से तेल छूट पर मिला। एक वर्ष के दौरान भारत में रूसी निर्यात में 16 लाख बैरल प्रति दिन की वृद्धि हुई, और चीन में रूसी निर्यात में 50 करोड़ बैरल प्रति दिन की वृद्धि सामने आई।
5 दिसंबर, 2022 को रूसी तेल पर पश्चिमी प्रतिबंध लागू किए गए थे। यूरोपीय संघ ने समुद्र की मदद से आनेवाले रूसी तेल से इन्कार किया। इसके अलावा, सात के समूह के देशों ने, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने ऐसे तेल की कीमत पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा लगायी। जवाब में रूस ने रूसी तेल और तेल उत्पादों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाया, अगर अनुबंध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मूल्य सीमा के बारे में लिखा गया है।