भारत, कोरिया और सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने एक तकनीक विकसित की है जो बेकार फेस मास्क के जरिए हवा में से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को प्रभावी ढंग से हटा सकती है।
शोधकर्ताओं ने इस्तेमाल किए गए फेस मास्क को झर्झरे सक्रिय रेशेदार अवशोषक में बदल दिया यह एक ऐसी सामग्री है जो गैस, तरल या सतह पर घुलने वाले ठोस के अणुओं को अवशोषित कर लेता है। यह अवशोषक उच्च अवशोषण दर के साथ उच्च सोखने की क्षमता और दानेदार पाउडर सामग्री की तुलना में हैंडलिंग में कहीं आसान हैं।
2020 की शुरुआत में Covid-19 के आने से चिकित्सकीय कचरे में काफी वृद्धि देखी गई जैसे कि उपयोग किए गए फेसमास्सक्स की तादाद काफी बढ़ गई जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक नया खतरा बन गया है लेकिन इस तकनीक के आने से कहीं हद तक इस कचरे से निजाद पाने में भी मदद मिलेगी।
बेंगलुरु में एलायंस यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर सुनंदा रॉय के नेतृत्व में टीम ने एक दृष्टिकोण विकसित किया है जिसमें विकसित तंतुओं पर भारी संख्या में छिद्र होते हैं जो भारी CO2 सोखने के लिए उपयुक्त हैं।
CO2 कैप्चर को और बढ़ाने के लिए तंतुओं की सतह को अमीन युक्त यौगिकों (TEPA) द्वारा संशोधित किया गया। कार्बन पत्रिका में प्रकाशित एक पेपर के मुताबिक नई बनाई गई सामग्री की अवशोषण क्षमता कई समकालीन अध्ययनों की तुलना में अधिक है।
अधिशोषित CO2 को आसानी से वापस लाया जा सकता है और अधिशोषक का उपयोग कई बार किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार वापस लाई गई CO2 का उपयोग शुद्धता के आधार पर हरित ईंधन, पेय पदार्थों और सूखी बर्फ के लिए किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अधिशोषक के जरिए जलीय घोल से विभिन्न रंगों को अलग भी किया सकता है।