मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय औषधि नियामक संस्था ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने देश के 20 राज्यों की 76 कंपनियों की जांच करने के बाद नकली दवाओं के निर्माण के लिए 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए।
समाचार एजेंसी के मुताबिक सरकार ने अब तक नकली दवाओं पर कार्रवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश में 70, उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों पर कार्रवाई की है।
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के एथेंस लाइफ साइंसेज को केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है वहीं हिमाचल की दूसरी कंपनी लेबोरेट फार्मास्यूटिकल्स इंडिया लिमिटेड (यूनिट-II) को चेतावनी जारी की गई है और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया।
हिमाचल के सोलन में जीएनबी मेडिका लैब को टैबलेट, कैप्सूल, ड्राई सिरप (बीटा-लैक्टम), इंजेक्टेबल (लिक्विड इंजेक्शन-वायल, एम्पाउल्स और पीएफएस) सैशे और प्रोटीन पाउडर (जनरल सेक्शन) का निर्माण बंद करने के साथ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। नोटिस के साथ-साथ औषधि निरीक्षकों को सत्यापन के लिए स्वीकृति भी भेजी गई है।
हिमाचल के सिरमौर की ग्नोसिस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को कॉस्मेटिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए शो कॉज और स्टॉप मैन्युफैक्चरिंग नोटिस दिया गया है।
वहीं हरियाणा के फरीदाबाद में पंजीकृत नेस्टर फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड को इस साल 30 जनवरी को कारण बताओ नोटिस दिया गया था। स्वीकृति जमा करने के बाद फर्म का फिर से निरीक्षण किया गया है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के शेड्यूल एम के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों का पालन करने के निर्देश के साथ सख्त चेतावनी दी गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक नकली दवाओं के निर्माण से जुड़ी देश भर की फार्मा कंपनियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई अभी भी जारी है।