"राज्य में अगर त्रिशंकु विधानसभा होने जा रही है, तो मुझे लगता है कि जनता दल सेक्युलर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कांग्रेस अपने घोषणा पत्र, चुनाव अभियानों के माध्यम से जीत के करीब दिख रही है और वास्तव में, राहुल गांधी की कन्याकुमारी से जम्मू-कश्मीर तक की पदयात्रा ने वास्तव में कर्नाटक में कई लोगों और मतदाताओं का दिल जीत लिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों का प्रभाव 2024 के संसदीय चुनावों पर पड़ने वाला है, और इसका असर भाजपा और कांग्रेस पार्टी दोनों पर पड़ेगा, हालांकि अब तक कर्नाटक में सामान्य रुझान कांग्रेस समर्थक और भाजपा विरोधी रहा है," राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ एम जी खान ने Sputnik को दिए इंटरव्यू में बताया।
"कर्नाटक चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दे पेट्रोल, डीजल, गैस और खाद्यान्न वगैरह की बढ़ती महंगाई हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अमूल बनाम नंदिनी हैं। केंद्र सरकार नंदिनी दुग्ध महासंघ का अमूल में विलय करने के बारे में सोच रही है या सोच रही थी, इसलिए किसान इससे खुश नहीं हैं," कर्नाटक यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. खान कहते हैं।
"कर्नाटक में भाजपा के लिए यह चुनाव एक प्रतिष्ठा का प्रश्न है और उनके लिए यह करो या मरो की स्थिति है। इसलिए वे इस चुनाव प्रचार में गृह मंत्री सहित लगभग सभी मंत्रियों को लेकर आ रहे हैं। कांग्रेस की बात करें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कर्नाटक में मतदाताओं को लुभाने के लिए समान रूप से हर जगह का दौरा कर रहे हैं। वहीं जनता दल (S) का धर्मनिरपेक्ष चुनाव अभियान विशेष रूप से उत्तर कर्नाटक में एक बहुत ही लो प्रोफाइल रहा है," प्रोफेसर डॉ खान ने Sputnik को बताया।