ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने अफगानिस्तान पर हाल की एक रिपोर्ट में कहा है कि देश की दो-तिहाई आबादी खाद्य संकट का सामना कर रही है।
"देश में 8 लाख 75,000 बच्चे गंभीर कुपोषण का सामना कर रहे हैं। महिलाएं और लड़कियां सबसे अधिक जोखिम में हैं," ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की रिपोर्ट में कहा गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गैर-सरकारी संगठन (NGO) में महिलाओं के काम करने पर रोक लगने के बाद यह संकट और गंभीर हो गया है। वहीं सहायता के भारी नुकसान से कई अफगान नागरिक गरीब और भुखमरी के शिकार हो जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति गंभीर बनी हुई है। इससे पहले, विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अफगानिस्तान उन सात देशों में से एक है, जो खाद्य संकट के भयावह स्तर का सामना कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सात खाद्य संकटग्रस्त देशों में अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, हैती, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान और यमन शामिल हैं। इन देशों में खाद्य संकट का सामना करने वाले लोगों की संख्या 2017 में ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस के आंकड़ों की रिपोर्टिंग शुरू करने के बाद से सबसे अधिक है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने यह भी चेतावनी दी है कि देश में व्यापक मानवीय संकट के बीच धन की कमी के कारण अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण खाद्य सहायता की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यूनिसेफ में पोषण प्रमुख मेलानी गैल्विन ने कहा कि इस साल अकेले अफगानिस्तान में हजारों कमजोर बच्चे गंभीर कुपोषण से मर सकते हैं।
"वैश्विक खाद्य संगठन देश भर में कुपोषण के इलाज और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक आपूर्ति खरीदने के लिए 21 मिलियन अमरीकी डालर के तत्काल फंडिंग गैप का सामना कर रहा है," गैल्विन ने कहा।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि संगठन को रेडी-टू-यूज़ चिकित्सीय भोजन (RUTF) की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरयूटीएफ को एक आवश्यक रेडीमेड फूड सप्लीमेंट माना जाता है जो कुपोषण से पीड़ित बच्चों को स्वस्थ कर सकता है।
बता दें कि यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष 15 मिलियन से अधिक बच्चों सहित 28 मिलियन से अधिक लोगों को दुनिया भर में मानवीय संरक्षण और सहायता की आवश्यकता है, साल 2022 में 4 मिलियन लोगों की आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है।
*तालिबान आतंकी गतिविधियों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित है।