व्यापार और अर्थव्यवस्था

15 साल में पहली बार भारत सरकार ने गेहूं भंडारण सीमा लागू की

पिछली बार गेहूं पर स्टॉक सीमा 2008 में लगाई गई थी। खाद्य विभाग के अनुसार, पिछले एक महीने में मंडी स्तर पर अनाज की कीमत 8.13% बढ़ी है, जो आने वाले दिनों में घरेलू थोक और खुदरा मूल्य में दिखाई दे सकती है।
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भारत सरकार ने 15 साल में पहली बार गेहूं के स्टॉक की लिमिट तय की है, जिसका उद्देश्य गेहूं की जमाखोरी और दाम में बढ़ोतरी को रोकना है।

"गेहूं का पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद कीमतें बढ़ रही हैं। सरकार ने अनाज की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए अगले साल 31 मार्च तक गेहूं पर भंडारण सीमा लगा दी है। व्यापारियों को अपने अतिरिक्त गेहूं के स्टॉक को निर्धारित सीमा के अनुरूप लाने के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा। इस कदम से बाजार में अधिक गेहूं आएगा और कीमतों में कमी आएगी," खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा।

दरअसल केंद्र सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना (OMSS) के अंतर्गत महीने के अंत से केंद्रीय पूल से थोक उपभोक्ताओं और व्यापारियों को 15 लाख टन गेहूं बेचने का भी फैसला किया है। गेहूं के अलावा, ओएमएसएस के तहत थोक खरीदारों को चावल की बिक्री की जाएगी और समय आने पर मात्रा तय की जाएगी।
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गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध अभी जारी रहेगा: पीयूष गोयल
सरकार ने स्पष्ट किया कि "उसकी गेहूं आयात नीति में बदलाव की कोई योजना नहीं है क्योंकि देश के पास इस खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है। इसके अलावा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा और फिलहाल चीनी के निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी।"
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