पिछले महीने उत्तर कोरिया के जासूसी उपग्रह को कक्षा में भेजने की प्रयास के दौरान समुद्र में गिरे और सियोल को मिले रॉकेट के बड़े भागों की सहायता से उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम के बारे में "बहुत जानकारी" मिल सकती है, विश्लेषकों ने एक अमेरिकी समाचार नेटवर्क को बताया।
जर्मन एयरोस्पेस इंजीनियर मार्कस शिलर ने कहा कि "उस रॉकेट के हिस्से तक पहुंच वाला और रॉकेटों के बारे में बहुत जानने वाला कोई भी व्यक्ति उस उपकरण से उत्तर कोरिया के पूरे कार्यक्रम के लिए प्रसार के अर्थ सहित सभी तकनीकी डेटा, प्रदर्शन डेटा और उत्तर कोरियाई लोगों की निर्माण क्षमताओं को प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए।"
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लंदन स्थित सैन्य विश्लेषक जोसेफ डेम्पसी ने कहा कि "इंजन सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जिसको दक्षिण कोरिया इस भाग से प्राप्त कर सकता था। अगर उसकी बहाली की जाएगी, तो यह डिजाइन के निर्माता का प्रमाण दे सकता है, जिसके कारण प्रतिबंधों का उल्लंघन सामने आ सकता है," उन्होंने कहा।
अप्रसार पर अमेरिकी विशेषज्ञ डेविड श्मेरलर ने सुझाव दिया कि सियोल वह पता लगाने में सहायता देगी कि रॉकेट के निर्माण के लिए विदेशी भागों सहित कौनसी सामग्रियों का उपयोग किया गया था।
"अगर उनको उत्तर कोरिया में घरेलू स्तर पर बनाए गए भागों के अलावा विदेशी भाग भी मिलेंगे, तो उत्तर कोरिया को भविष्य में उन्हें प्राप्त करने से रोकने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। यह उत्तर कोरिया की देश में भागों का उत्पादन करने की क्षमता को देखने में भी सहायता करेगा,” विशेषज्ञ ने दावा किया।
अमेरिकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) के पूर्व विश्लेषक सू किम ने कहा कि उपग्रह का असफल लॉन्च उत्तर कोरिया को अपने मिसाइल और उपग्रह कार्यक्रम को आगे बढ़ाने से नहीं रोक पाएगा।
कथित उत्तर कोरियाई रॉकेट के भागों की तस्वीरें दक्षिण कोरियाई सेना द्वारा जारी की गईं, जिन्होंने उसका वर्णन 2.5 मीटर का व्यास और 12 मीटर की लंबाई वाले रॉकेट के रूप में किया। प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर दक्षिण कोरियाई अधिकारियों को विश्वास है कि रॉकेट के इंजन, ईंधन सिलेंडर और ऑक्सीडाइज़र सिलेंडर को नुकसान नहीं हुआ है।
31 मई को उत्तर कोरिया ने अपना पहला सैन्य उपग्रह लॉन्च करने का प्रयास किया था, जिसको लेकर उसने कहा था कि उसका उपयोग अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सैना के आवागमन पर नज़र रखने के लिए किया जाएगा। लॉन्च असफल हुआ था क्योंकि रॉकेट के दूसरे चरण का ईंधन जलने में असफल हुआ था और बाद में रॉकेट पीले सागर में गिर गया था।
2006 से उत्तर कोरिया परमाणु हथियार बनाने और इस से संबंधित गतिविधियों के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित है, अमेरिका और अन्य देशों ने प्योंगयांग पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इसके साथ उन प्रतिबंधों के अनुसार हथियारों और सैन्य उपकरणों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, परमाणु कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों की संपत्ति जब्त की गई है और वैज्ञानिक सहयोग को सीमित किया गया है।