राजनीतिक-सैन्य विशेषज्ञ दिमित्री एवस्टाफयेव ने Sputnik को बताया कि चूंकि पिछले साल यूक्रेन में रूस के विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद से अपने सैन्य-औद्योगिक आधार की कमजोरियों को पूरी तरह से समझा है, वह भारत जैसे देशों को अपनी और आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
"क्या आप जानते हैं कि अमेरिका भारत के साथ सहयोग बढ़ाना क्यों चाहता है? वह अब अलास्का में भारत के साथ सैन्य अभ्यास क्यों कर रहा है? अमेरिका को पता चला कि गनकॉटन के बिना गोला-बारूद का उत्पादन कठिन है। सिंथेटिक्स से यह सब करना बेहद महंगा है। अमेरिकी अपने सैन्य उत्पादन बढ़ाने के लिए वास्तविक संसाधनों के महत्व को समझता है," विशेषज्ञ ने कहा।
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सभी सदस्य देशों के बीच अमेरिका यूक्रेन को हथियारों का शीर्ष आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। जर्मन थिंक टैंक कील इंस्टीट्यूट फॉर द वर्ल्ड इकोनॉमी के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने पिछले फरवरी से यूक्रेन को मानवीय, वित्तीय और सैन्य सहायता के रूप में 75 बिलियन डॉलर प्रदान किए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यही कारण है कि वाशिंगटन भारत के साथ युद्ध अभ्यास कर रहा है।
अमेरिकी प्रशासनों ने एक के बाद एक भारत को रणनीतिक स्वायत्तता की नीति से हटाकर हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाली सुरक्षा वास्तुकला में ढालने की कोशिश की है। नई दिल्ली ने अब तक इन प्रयासों का विरोध किया है।
पिछले साल से बाइडन प्रशासन नई दिल्ली पर रूसी रक्षा निर्यात पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए दबाव डाल रहा है, लेकिन उसके ये प्रयत्न नाकाम रहे हैं।
वहीं, वॉशिंगटन भारत के रक्षा बाजार में रूस की जगह लेने में लगा हुआ है।
स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) के अनुसार, मास्को को 2017 और 2022 के बीच नई दिल्ली के शीर्ष हथियार आपूर्तिकर्ता का नाम दिया गया।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
विशेषज्ञ की टिप्पणियां बाइडन प्रशासन के उन अधिकारियों की चिंताओं को प्रतिबिंबित करती हैं, जिन्होंने मई में हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सामने गवाही दी थी कि अमेरिकी रक्षा-औद्योगिक आधार को प्रबल नहीं करने से "राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ" हो सकते हैं।
"मुझे लगता है कि अगर हमने अपने रक्षा औद्योगिक आधार को प्रबल करने के लिए आवश्यक परिवर्तन नहीं करेंगे, तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर निश्चित रूप से इसका प्रभाव पड़ेगा," रणनीति के लिए सहायक रक्षा सचिव मारा कार्लिन ने कहा।
कार्लिन ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा था कि यूक्रेन संकट ने वाशिंगटन को न केवल अमेरिका, बल्कि उसके सहयोगियों के भी रक्षा-औद्योगिक आधार में निवेश की आवश्यकता दिखाई है।