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ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनें, तो वे अमेरिका को नाटो से बाहर निकाल देंगे: बोल्टन

जुलाई 2022 में, जॉन बोल्टन ने 6 जनवरी, 2021 के दंगों में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कथित भूमिका नकारते हुए विभिन्न देशों में तख्तापलट की योजना बनाने की बात स्वीकार की; कहा, "तख्तापलट की योजना बनाने में बहुत मेहनत लगती है, 6 जनवरी को ट्रम्प ने इस तरह की मेहनत नहीं की।"
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने हाल ही में कहा है कि अगर ट्रम्प को फिर से चुने गए तो संभवतः वे अमेरिका को नाटो गठबंधन से निकाल देंगे।
बोल्टन को विदेश नीति में वॉर हॉक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने गुरुवार को एक रूढ़िवादी अमेरिकी मीडिया आउटलेट से बात की। साक्षात्कार के दौरान बोल्टन ने ट्रम्प प्रशासन की आलोचना की कि उसने ईरान, उत्तर कोरिया, अफगानिस्तान के प्रति विदेश नीति को लेकर पर्याप्त आक्रामक नहीं था। पूर्व सलाहकार इस बात से भी निराश थे कि ट्रम्प प्रशासन वेनेजुएला के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता निकोलस मादुरो को हटाने में विफल रहे।

साक्षात्कार के दौरान बोल्टन ने कहा कि ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल में "नाटो के अस्तित्व को खतरे में डाला" और 2024 में फिर से चुने जाने पर "लगभग निश्चित रूप से नाटो से बाहर आ जाएंगे"।

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पूर्व शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोल्टन ने अफगानिस्तान, उत्तर कोरिया और ईरान में विदेश नीति पर तत्कालीन राष्ट्रपति के साथ असहमति के कारण सितंबर 2019 में अपना पद छोड़ दिया था। मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि बोल्टन के कार्यकाल में अमेरिका ईरान पर हमला करने के "मिनटों" का अंतर था।
अतीत में बोल्टन ने लीबिया, सीरिया, यमन, क्यूबा और वेनेजुएला में युद्ध या शासन परिवर्तन पर आग्रह किया है। वेनेजुएला में राष्ट्रपति मादुरो को उखाड़ फेंकने की बोल्टन/ट्रम्प की योजना पूरी तरह से विफल रही थी। जॉन बोल्टन अमेरिका की एजेंसी न्यू अमेरिकन सेंचुरी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे, जिन्होंने 1997 में ईराक, ईरान और सीरिया में शासन परिवर्तन का समर्थन किया था।
बोल्टन ने लगभग 20 वर्षों के खूनी संघर्ष के बाद अफगानिस्तान से बाहर निकलने के ट्रम्प के फैसले की भी आलोचना की और कहा कि यह "अमेरिका और दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक विनाशकारी गलती थी।"
यह बात भी सामने आई है कि ट्रम्प को अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान विदेश नीति में बड़े वॉर हॉक की तरह होना चाहिए, नहीं तो बोल्टन को संतुष्ट नहीं किया जा सकता।
बोल्टन ने कहा कि "अपने पहले कार्यकाल में रक्षा खर्च बढ़ाने के बावजूद, ट्रम्प अगली बार सैन्य बजट को फ्रीज या कम कर सकते हैं"। उन्होंने अनुमान किया है कि ट्रम्प इसके बजाय "नागरिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं" पर ध्यान केंद्रित करना पसंद करेंगे।
यूक्रेन के बारे में पूछे जाने पर बोल्टन ने कहा कि उन्हें "[अमेरिकी राष्ट्रपति जो] बाइडन प्रशासन की दृढ़ता पर संदेह है"। "बहुत सारे यूरोपीय नेताओं" के बारे में भी उन्होंने यही बात कही।
ट्रम्प ने यूक्रेन और रूस को बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर लौटाने का वादा किया है। बाइडन प्रशासन ने संघर्ष के दौरान यूक्रेन को 100 बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की है। बाइडन प्रशासन कीव शासन का सबसे बड़ा लाभार्थी है। इस बीच, हाल ही में अमेरिका में एक सर्वेक्षण किया गया था जिससे पता चला कि बहुमत अमेरिकी निवासी यूक्रेन को अमेरिका की सहायता देना समाप्त करने के पक्षधर हैं।
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बोल्टन ने जार्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन के कार्यकाल में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत के रूप में भी काम किया। हालांकि पहले उन्होंने कहा था कि अगर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय "10 मंजिलें खो देता, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता"। बोल्टन ने लंबे समय से इस वैश्विक संगठन के और उसमें अमेरिका की भागीदारी के विरुद्ध खड़े हैं।
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