नई दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत अपनी धाक जमाने जा रहा है। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने अपने एक लेख में यह बात कही। राजदूत अलीपोव ने सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत को एक उभरती हुई विश्व शक्ति के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है जो अंतरराष्ट्रीय मामलों में रचनात्मक और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों में से भारत का भविष्य में सबसे बढ़ा दांव है।
यूक्रेन संघर्ष होने पर भी दोनों देशों के रिश्ते मजबूत
रूसी राजदूत ने कहा कि यूक्रेन के विरूद्ध छिड़े विशेष सैन्य अभियान के कारण अमेरिका सहित पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भारत और रूस के बीच दोस्ती चली आ रही है। द्विपक्षीय व्यापार 49 अरब डॉलर बनकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। दोनों देशों के बीच सहयोग सैन्य, तकनीकी, आर्थिक, वैज्ञानिक इत्यादि दिशाओं में बढ़ता जा रहा है।
साथ ही, अलीपोव ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि रूस और भारत के बीच बातचीत जी-20, ब्रिक्स समूह और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों में व्यावहारिक सहयोग से मज़बूत होती है।
अलीपोव ने कहा, "हाल के वर्षों में [रूस और भारत के बीच] व्यापार अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। और यह सब पश्चिमी देशों द्वारा रूस को अलग-थलग करने की बेताब कोशिशों के बावजूद हो रहा है।"
2027 तक भारत दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था
भारत सबसे तेज़ी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। राजदूत ने याद दिलायी कि भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार पिछले वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। शुरुआती गणना के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद 3,5 ट्रिलियन डॉलर बन गया है, जिससे देश दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में पांचवें नंबर पर पहुंच गया। विश्व बैंक के पूर्वानुमान के मुताबिक़ 2027 तक भारत 5,3 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ जर्मनी को पछाड़कर चौथे नंबर पर होगा।
"भारत सरकार देश की आर्थिक क्षमता को मजबूत करने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्रों में से एक के रूप में स्थापित करने पर काम कर रही है", राजदूत ने कहा।
जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए एक बढ़िया अवसर
जी-20 में भारत की सभापति को लेकर अलीपोव ने कहा कि 'बीस के समूह' में भारत को सारी दुनिया की भलाई के लिए महत्वपूर्ण कार्य करने का अवसर है। संतुलन आर्थिक विकास, बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में सुधार और वैश्विक शासन का लोकतंत्रीकरण इसके अंतर्गत है। राजदूत ने कहा, कि आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक क्षेत्रों में भारत की सफलताएं सार्वमान्य हैं।