रूसी दूतावास की और से कहा गया, "हमने रूस के नए प्रदेशों में चुनावों की कथित अवैधता के बारे में [बाइडन] प्रशासन के उच्च अधिकारियों के बयानों पर ध्यान दिया। हमें प्रतिबंधों की एक और लहर की धमकी मिली, विशेषतः उन अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के विरुद्ध , जिनसे होने वाले चुनावों के निष्पक्ष निष्कर्ष देने की आशा है”।
रूसी राजनयिक मिशन ने कहा, "अमेरिकी अधिकारी दूसरे देशों के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप देने की लंबे समय से चली आ रही आदत को नहीं छोड़ते। वे स्वयं को विदेशों में चुनावी अभियानों के संचालन के संबंध में अनुशंसाएँ और चेतावनियां देने का अधिकारी मानते हैं।"
दूतावास ने कहा कि "अमेरिका ने यह सोचकर गंभीर गलती की है कि वे प्रतिबंध लगाने की संभावना के साथ हमें और उन लोगों को डरा सकते हैं, जो यूक्रेन में संघर्ष की वास्तविक स्थिति को समझते हैं।"
अधिकारियों ने इस बात पर बल दिया कि डोनेट्स्क और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक के साथ-साथ खेरसॉन और ज़पोरोज्ये क्षेत्रों के निवासियों ने "जनमत संग्रह में अपनी वैध पसंद बनाई"। दूतावास ने यह भी स्मरण कराया कि "क्रीमिया और सेवस्तोपोल के निवासियों ने भी ऐसा ही किया था।"
याद दिला दें कि शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि उपरिलिखित क्षेत्रों में 8-10 सितंबर में जो चुनाव आयोजित किए जाएंगे, वे "दिखावटी" चुनाव हैं। उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि अमेरिका ने उस जनमत संग्रह के वैध परिणाम को कभी स्वीकार नहीं किया, जिसमें सभी चार क्षेत्रों ने रूस में सम्मिलित होने के लिए मतदान किया।