मंगलवार (28 सितंबर) को यह भी बात सामने आयी है कि हीरा व्यापार के प्रमुख संगठनों ने अपने सदस्यों से 15 अक्टूबर से दो महीने के लिए कच्चे हीरों का आयात बंद करने की सिफारिश की है।
यह निर्णय अमेरिका में धीमी खुदरा बिक्री, प्रयोगशाला में विकसित हीरों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट के मध्य पॉलिश व्यापार में भारी गिरावट के उपरांत लिया गया।
जेम एंड जेवर्ली एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC), भारत डायमंड बोर्स (BDB), सूरत डायमंड बोर्स (SDB), मुंबई डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन (MDMA), और सूरत डायमंड एसोसिएशन (SDA) ने एक संयुक्त बयान में कहा कि कच्चे हीरों के आयात पर यह एक "स्वैच्छिक रोक होगी, न कि पूर्ण रोक”।
भारत के हीरा निर्यात में एक चौथाई की गिरावट
हीरा व्यापारियों ने अपने बयान में कहा कि मांग और आपूर्ति की स्थिति बेमेल होने से जनवरी-अगस्त के दौरान भारत के हीरों के निर्यात में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। बता दें कि सितंबर में स्थिति ऐसी ही थी।
बयान में कहा गया, "ऑर्डर में स्पष्ट मंदी के साथ …अमेरिका और चीन जैसी बड़ी उपभोक्ता अर्थव्यवस्थाओं से खुदरा पॉलिश वाले हीरे और आभूषणों की मांग पिछली कई तिमाहियों में प्रभावित हुई है, जबकि 2021 और 2022 में मांग सर्वकालिक उच्चस्तर पर थी”।
In this handout photo released by the Russian diamond producer Alrosa, a view shows a rare 242-carat rough diamond, which will be offered at the 100th international auction of Alrosa in Dubai on March 22, 2021
© Sputnik / Alrosa
/ ऑल इंडिया ज्वैलर्स एंड गोल्डस्मिथ फेडरेशन (AIJGF) के राष्ट्रीय महासचिव नितिन केडिया ने Sputnik India को बताया कि हालांकि आपूर्ति के लिए भारत के पास कच्चे हीरों का पर्याप्त भंडार है, लेकिन 2023 में मांग और देश के हीरे के निर्यात में भारी गिरावट आई है।
केडिया ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप इन्वेंटरी का ढेर लग गया है और आपूर्ति-मांग अनुपात के कारण कीमतों में गिरावट आई है। इसलिए हीरा उद्योग के प्रतिनिधि ने सरकार से कच्चे हीरे के आयात पर दो महीने के लिए रोक लगाने का अनुरोध किया था”।
अन्य देशों पर प्रभाव
भारत कच्चे हीरों का सबसे बड़ा आयातक है, इसके उपरांत बेल्जियम और संयुक्त अरब अमीरात आते हैं।
गुजरात के हीरा श्रमिक संघ के अध्यक्ष रमेशभाई जिलारिया ने Sputnik India को बताया कि भारत को रत्न आयात में रूस की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात भारत के हीरे के आभूषणों के लिए मुख्य बाजार हैं।
इसके अतिरिक्त, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने पिछले महीने रूसी हीरा कंपनियों से कथित संबंधों के कारण भारतीय व्यवसायों की दुबई स्थित अपतटीय कंपनियों के लगभग 26 मिलियन डॉलर की संपत्ति को फ्रीज़ किया था।
Indian Diamond Industry Faces Shutdowns, Suicides due to G7 Sanctions
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सेंट पीटर्सबर्ग राज्य विश्वविद्यालय के यूरोपीय अध्ययन विभाग में प्रोफेसर नताल्या एरेमिना ने Sputnik India को बताया, “रफ-हीरे के आयात को रोकने का भारत का निर्णय अस्थायी रूप से समय के साथ मेल खाता है। लेकिन रूसी हीरे पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले देश यानी अमेरिका और यूरोपीय संघ, अच्छी तरह से जानते हैं कि वास्तव में यह रूसी हीरों के निर्यात की संभावनाओं को प्रभावित नहीं करता है।
एरेमिना के अनुसार भारत ने ऐसा निर्णय इसलिए लिया, क्योंकि उसे अपने पश्चिमी साझेदारों की प्रतिक्रिया का डर है और वह देखना चाहता है कि वे इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
प्रोफेसर ने इस बात पर बल दिया कि चूंकि भारत हीरा प्रसंस्करण उद्योग में प्रमुख नेताओं में से एक है, इसलिए अमेरिका इस दिशा को खोना नहीं चाहता है और यह भारतीय बाजार में पूर्ण नेता बनने और विश्व बाजार को प्रभावित करने का उसका एक प्रयास है।
एरेमिना ने कहा, “विश्व बाज़ार से रूस को बाहर करने की इच्छा है। इसलिए यहां अमेरिकी जो करते हैं, वह मात्र अर्थव्यवस्था से संबंधित नहीं है, बल्कि उन्हें यह भी चाहिए कि दूसरे देश रूस के साथ सारे संबंध तोड़ें।
प्रोफेसर ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, रूस अब बहुत सक्रिय रूप से BRICS समूह तथा चीन और भारत के साथ जिन क्षेत्रों में साझेदारी विकसित कर रहा है, अमेरिका उनपर प्रहार करने का प्रयास करेगा।
क्या हीरे की कीमतें बढ़ेंगी?
हीरा व्यापारियों का मानना है कि मांग में मंदी के मध्य उद्योग को भारत सरकार के सामने कीमतें न बढ़ाने का अनुरोध करने की आवश्यकता है।
केडिया ने कहा, “कच्चे हीरे के आयात पर रोक के कारण घरेलू कीमतें बढ़ सकती हैं। हम मात्र यह आशा कर सकते हैं कि इस अवधि के दौरान सरकार तात्कालिक इन्वेंट्री का उपयोग कर सकती है”।
हीरा निर्यात बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए गए
GJEPC संगठन ने भारत सरकार, प्राकृतिक हीरा परिषद, कच्चे हीरे की खनन कंपनियों और अमेरिका में समान विचारधारा वाले निकायों जैसे संगठनों की सहायता से बाजारों में मांग बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
हीरों के बारे में सकारात्मक जागरूकता उत्पन्न करने के लिए हांगकांग में एक भव्य समारोह के आयोजन से लेकर वियतनाम, कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड जैसे वैकल्पिक बाजारों का प्रयोग करने तक GJEPC हीरों की मांग बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
बयान में कहा गया है कि काउंसिल ने इंडिया इंटरनेशनल ज्वैलरी शो (IIJS) में हीरों के लिए भी अनुभाग प्रदान किया, जिसके परिणामस्वरूप मध्य पूर्व और भारतीय उपमहाद्वीप में हीरे की मांग में वृद्धि हुई है।