तीन स्क्वाड्रन पहले से ही महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परिचालन में हैं, जबकि एक इकाई चीन और पाकिस्तान दोनों पर नजर रख रही है, एक-एक को चीन और पाकिस्तान मोर्चों के लिए रखा गया है, रक्षा सूत्रों ने भारतीय मीडिया को पुष्टि की।
मिली जानकारी के मुताबिक भारत ने साल 2018-19 में S-400 मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन के लिए रूसी पक्ष के साथ 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें से तीन पहले ही देश में आ चुके हैं, और शेष दो की आपूर्ति होनेवाली है।
भारत की रक्षा प्रणाली को और बढ़ावा देने के लिए, भारत को उम्मीद है कि शेष दो रूसी S-400 वायु रक्षा मिसाइल स्क्वाड्रनों की आपूर्ति का अनुबंध 2024 में पूरा हो जाएगा, भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने अक्तूबर की शुरुआत में कहा।
इस बीच भारतीय रक्षा अधिग्रहण परिषद ने हाल ही में प्रोजेक्ट कुशा के तहत भारतीय लंबी दूरी की सतह वायु मिसाइल प्रणाली की खरीद को मंजूरी दे दी है।
बता दें कि भारतीय वायु सेना LR-SAM की डिलीवरी अनुसूची को सीमित करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ भी काम कर रही है। रेपोर्टों के अनुसार, त्रि-स्तरीय लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (LRSAM) रक्षा प्रणाली लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम होगी।