मामले के जानकार सूत्र ने कहा कि G7 देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भारत ने रूसी कच्चे हीरों के साथ काम करना बंद नहीं किया है, "हालांकि हीरे की खरीद की मात्रा वास्तव में कम हो गई है"।
उन्होंने कहा, “यह ध्यान में रखना चाहिए कि सभी प्रतिबंधात्मक उपायों के बावजूद बाजार में आने वाले सभी हीरों की जांच करना असंभव है, और वास्तव में यह आवश्यक नहीं है। बाजार में मुख्य रूप से हल्के वजन के हीरे आते हैं। उनका उपयोग अंगूठियां बनाने के लिए किया जाता है, जो विश्व में हीरे के आभूषणों की मुख्य वस्तु बनी हुई है”।
सूत्र ने आगे कहा, “बड़े हीरे वाली अंगूठियां बहुत अधिक मात्र में खरीदी नहीं जातीं। बाजार का अधिकांश हिस्सा छोटे हीरों वाली अंगूठियों का है। उनके लिए कच्चे माल की जांच करना बिलकुल असंभव है।
उनके अनुसार भारत के हीरा उद्योग के केंद्र सूरत में प्रतिबंध लगने से पहले रूसी हीरे की हिस्सेदारी 30% से 35% थी। उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि रूस से कच्चे हीरे के बिना इस महत्वपूर्ण भारतीय उद्योग की कल्पना करना कठिन है।
उन्होंने कहा, "G7 प्रतिबंधों का हीरा व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा"