यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

क्रेमलिन ने यूक्रेन में सेना भेजने को लेकर मैक्रॉन के शब्दों का जवाब दिया

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन ने कल पेरिस में यूक्रेन के समर्थन में आयोजित सम्मेलन के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों के नेता यूक्रेन में सेना भेजने की संभावना पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन आम सहमति पर नहीं पहुँच पाए हैं।
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क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के शब्दों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यूक्रेन में पश्चिमी सैनिकों को भेजने से रूस और नाटो के बीच सीधा सैन्य टकराव होगा।

“हमारा आकलन है कि अगर ऐसा हुआ तो [सीधा सैन्य टकराव] अपरिहार्य हो जाएगा और इन देशों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या यह उनके हित में है, और सबसे पहले क्या यह उनके नागरिकों के हित में है,” रूसी राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने कहा।

पेसकोव ने "नाटो देशों से यूक्रेन में कुछ टुकड़ियां भेजने" की संभावना पर चर्चा करने के तथ्य को ही एक खतरनाक संकेत बताया। उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति के भाषणों में अन्य सभी विवरण पहले ही किसी न किसी तरह से व्यक्त किए जा चुके हैं।
पेस्कोव ने कहा, साथ ही रूस ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि सेना भेजने के मुद्दे पर यूरोप में कोई आम सहमति नहीं है। उन्होंने कहा कि पेरिस में बैठक में भाग लेने वाले कई देशों ने "इस तरह की कार्यवाही के संभावित खतरों और संघर्ष में प्रत्यक्ष भागीदारी के संभावित खतरे का काफी गंभीर मूल्यांकन किया है।"
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रूस को रणनीतिक तरीके से हार देने की आवश्यकता वाले मैक्रॉन के दृष्टिकोण से क्रेमलिन भली भांति परिचित है।
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