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अमेरिका के रूसी तेल पर नए प्रतिबंधों के बाद भारत पर कोई दबाव नहीं: भारतीय पेट्रोलियम मंत्री

पिछले सप्ताह अमेरिकी ट्रेजरी ने मूल्य सीमा का उल्लंघन करने के लिए रूसी शिपिंग कंपनी सोवकॉम्फ्लोट और 14 जहाजों को नामित किया था। रिपोर्ट के अनुसार भारत को रूसी तेल की आपूर्ति करने वाले जहाज प्रभावित हुए हैं।
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भारतीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि रूसी तेल पर जी7 द्वारा मूल्य सीमा लगाने के कारण भारत को कोई दबाव अनुभव नहीं है।

बुधवार शाम को पुरी ने कर्नाटक की रेवा यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए बताया, "जब ऊर्जा की बात आती है, तो यह बहुत दिलचस्प होता है... रूस से हंगरी तक पाइपलाइन में जाने वाले कच्चे तेल को छूट दी गई। पाइपलाइन के माध्यम से रूस से चीन तक जाने वाले कच्चे तेल को छूट दी गई। सखालिन से जापान को बेचे जाने वाले कच्चे तेल को छूट दी गई और शेष विश्व पर वे मूल्य कर सीमा लगाना चाहते थे। परंतु आप जानते हैं, आविष्कारशील भारत में आपका स्वागत है। हमने कहा बहुत बहुत धन्यवाद।"

भारतीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने इस पर ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पश्चिमी देशों द्वारा 60 डॉलर प्रति बैरल मूल्य सीमा का पालन करने का दबाव अनुभव नहीं हुआ।

"ऐसी हमारी आज की स्थिति है। किसी ने मुझसे पूछा क्या आपको कभी-कभी इन चीज़ों का दबाव अनुभव नहीं होता? मैंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसे प्रधानमंत्री के साथ काम करने का अवसर मिला, जिनके दिमाग में कोई दबाव अनुभव नहीं होता," पुरी ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा।

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पुरी ने इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि भारत विश्व की एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था है जहां पिछले दो वर्षों में ईंधन की कीमतें नहीं बढ़ी थीं।
"यह बाधाओं पर नियंत्रण पाने में हमारे लचीलेपन और अनुकूलनशीलता का प्रमाण है। जब वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं की बात आई, तो कुछ निर्णय दिलचस्प लगे ... भारत ने चुनौती को स्वीकार करके अपने स्वयं के समाधान खोज निकालके वैश्विक भलाई में योगदान दिया, यह सुनिश्चित करते हुए कि हम एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था रहे जहां पिछले दो वर्षों में ईंधन की कीमतें नहीं बढ़ी हैं," पेट्रोलियम मंत्री ने कहा।
नई दिल्ली ने 2022 से रूस से अपनी तेल खरीद में कटौती करके पश्चिमी दबाव के आगे झुकना अस्वीकार कर दिया है। इसके विपरीत पिछले वर्ष से रूस ने मध्य-पूर्व में नई दिल्ली के पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं की जगह लेते हुए भारत को कच्चे तेल के शीर्ष आपूर्तिकर्ता की अपनी स्थिति प्रबल कर ली है।
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