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रूस के नए रेल मार्ग से व्यापार में और तेजी आएगी: विशेषज्ञ

रूस एक समय अधिकतर व्यापार यूरोप से करता था लेकिन यूक्रेन संकट के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के मद्देनजर रूस ने उसके साथ व्यापार करने के अधिक इच्छुक देशों के साथ संबंधों का विस्तार किया है। इनमें पूर्व में चीन, और दक्षिणी मार्ग से भारत और फारस की खाड़ी के देश शामिल हैं।
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इस कड़ी में ईरान के माध्यम से एक नियोजित रेल मार्ग महत्वपूर्ण हो सकता है, दक्षिणी मार्ग पर अब रूसी नीति निर्माताओं का ध्यान अधिक केंद्रित हो गया है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रूसी और मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर संजय कुमार पांडे ने Sputnik India को बताया कि "2022 से पहले भारत-रूस व्यापार 10 बिलियन डॉलर या उससे कम हुआ करता था। उसके बाद 2022-23 और अब 2023-24 में 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया है। और इसमें करीब 40 बिलियन डॉलर का व्यापार मूलतः तेल, तेल उत्पाद और फ़र्टिलाइज़र का है।"
साथ ही विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि भारत-रूस-ईरान ने मिलकर 22 साल पहले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) की स्थापना की थी।

"भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर 500 बिलियन डॉलर से पुनर्निर्माण का काम आरंभ किया। आईएनएसटीसी भी पिछले दो-तीन सालों से ऑपरेशनल है हालाँकि बहुत ज्यादा व्यापार इस पर नहीं हो रहा है लेकिन यूक्रेन संघर्ष के कारण अब जबकि पूर्ववर्ती व्यापार मार्ग में अवरोध है या रूस पर बहुत सारे पश्चिमी प्रतिबंध लगे हुए हैं तो अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे में एक नई ऊर्जा आएगी और व्यापार बढ़ेगा," पांडे ने टिपण्णी की।

दरअसल रेलवे मार्ग के जरिए रूस को ईरान के पोर्ट से जोड़ा जाएगा। नई रेलवे लाइन दो ईरानी शहरों, अस्तारा और रश्त को जोड़ेगी, जो उत्तर में ईरान और अज़रबैजान के बीच पटरियों को जोड़ेगा, और फिर रूसी रेलवे ग्रिड से जुड़ेगा। इस रेल लिंक के 2028 में पूरा होने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप "उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा" पश्चिमी प्रतिबंधों की पहुँच से बाहर, 4,300 मील से अधिक तक फैल जाएगा।
फारस की खाड़ी पर ईरानी सुविधाओं से, रूसी व्यापारियों को भारत के साथ-साथ सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान और उससे आगे के गंतव्यों तक आसान पहुंच प्राप्त होगी।

"यदि जलमार्ग से व्यापार होता है तो उसपर प्रतिबंध लगाना आसान है लेकिन अगर रेल या सड़क मार्ग से व्यापार रूस-अजरबैजान-ईरान के माध्यम से होगा तो सही तौर पर उसका आकलन करके उसपर प्रतिबंध लगाना और मुश्किल हो जाएगा। इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि यह जो नई रेल लाइन बन रही है जो ईरान और अजरबैजान के बीच करीब 125 किलोमीटर बची हुई थी उसको जोड़ देने से व्यापार में और तेजी आएगी," विशेषज्ञ ने Sputnik India को बताया।

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