"भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर 500 बिलियन डॉलर से पुनर्निर्माण का काम आरंभ किया। आईएनएसटीसी भी पिछले दो-तीन सालों से ऑपरेशनल है हालाँकि बहुत ज्यादा व्यापार इस पर नहीं हो रहा है लेकिन यूक्रेन संघर्ष के कारण अब जबकि पूर्ववर्ती व्यापार मार्ग में अवरोध है या रूस पर बहुत सारे पश्चिमी प्रतिबंध लगे हुए हैं तो अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे में एक नई ऊर्जा आएगी और व्यापार बढ़ेगा," पांडे ने टिपण्णी की।
"यदि जलमार्ग से व्यापार होता है तो उसपर प्रतिबंध लगाना आसान है लेकिन अगर रेल या सड़क मार्ग से व्यापार रूस-अजरबैजान-ईरान के माध्यम से होगा तो सही तौर पर उसका आकलन करके उसपर प्रतिबंध लगाना और मुश्किल हो जाएगा। इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि यह जो नई रेल लाइन बन रही है जो ईरान और अजरबैजान के बीच करीब 125 किलोमीटर बची हुई थी उसको जोड़ देने से व्यापार में और तेजी आएगी," विशेषज्ञ ने Sputnik India को बताया।