रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को रूस के राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक रिकॉर्ड जीत हासिल की, जिससे सत्ता पर उनकी पहले से ही मजबूत पकड़ और मजबूत हो गई।
मास्को में 100% मतपत्रों के संसाधित होने के बाद पुतिन ने 85.13% वोट प्राप्त किए हैं। इस ऐतिहासिक जीत का अर्थ है कि राष्ट्रपति पुतिन आगामी 6 वर्ष तक अपने पद पर बने रहेंगे।
केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, न्यू पीपल पार्टी के उम्मीदवार व्लादिस्लाव दावानकोव को 6.65%, कम्युनिस्ट पार्टी के निकोलाई खारितोनोव को 3.84%, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के लियोनिद स्लटस्की को 2.83% वोट मिले।
व्लादिमीर पुतिन ने अपने चुनाव अभियान मुख्यालय में स्वयंसेवकों को उनके काम के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि रूस के और अधिक मजबूत और प्रभावी बनते हुए आगे बढ़ने की प्रबल संभावना है।
इस बीच भारत-रूस रिश्ते और दुनिया के लिए पुतिन की जीत के मायने के बारे में Sputnik India ने जब अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार कमर आग़ा से सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि "भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध है। राष्ट्रपति पुतिन के भारत से व्यक्तिगत रिश्ते भी बहुत अच्छे हैं और प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी बहुत अच्छे संबंध है। दोनों नेता क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बात भी करते रहते हैं। दोनों देशों के बीच संबंध सिर्फ रक्षा मुद्दों तक सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध भी बढ़ा है और साथ में द्विपक्षीय व्यापार भी बढ़ रहा है।"
"पुतिन की ऐतिहासिक जीत से रूस की नीति अविराम जारी रहेगी। सभी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह समझ लेना चाहिए कि बातचीत से ही सभी मुद्दों का हल हो सकता है। पीएम मोदी ने बहुत पहले पुतिन को भी और दूसरे देशों को यह सलाह दी थी कि युद्ध का काल अब समाप्त हो गया है। हालांकि समस्या पश्चिम के देशों के साथ है। पश्चिमी देशों के उद्देश्य कभी पूरे नहीं हो सकते जैसा कि वे सोचते हैं युद्ध चलता रहेगा, रूस कमजोर हो जाएगा, रूस टूट जाएगा, उनकी ऐसी मंशा कभी पूरी नहीं होंगी," आग़ा ने टिप्पणी की।
साथ ही विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि "इससे पहले भी पश्चिम के उद्देश्य कहीं पूरे नहीं हुए अफगानिस्तान इराक, ईरान, क्यूबा और वेनेजुएला इसका उदाहरण हैं। इससे पूरी दुनिया में तनाव जरूर फैल रहा है। दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है मगर पश्चिमी देशों के रवैये में कोई बदलाव नहीं आ रहा है।"
"पुतिन के जीतने से एक और फायदा यह होगा कि ग्लोबल साउथ के देशों में उनको बहुत अच्छा समर्थन प्राप्त है और भारत का समर्थन तो पहले से है ही। पुतिन की नीति इस समय लुक ईस्ट नीति है यानी भारत, चीन और अरब देशों से अच्छे संबंध बनाने की है दूसरी तरफ अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में तो वे विकास कार्यों में काफी समय से मदद कर ही रहे हैं," आग़ा ने बताया।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि "पुतिन ने रणनीतिक दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया है कि आने वाले समय में यूरोप के साथ संबंध कई वर्षों तक ठीक नहीं हो पाएंगे। चूंकि पुतिन काफी परिपक्व नेता हैं काफी वर्षों से सत्ता में हैं इसलिए ग्लोबल साउथ और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे को अच्छी तरह समझते हैं।"
"पुतिन के जीत से ब्रिक्स को मजबूती मिलेगी और डी-डॉलराइजेशन की प्रक्रिया और गति पकड़ेगी क्योंकि अधिकतर देश स्थानीय मुद्रा में व्यापार की बात कर रहे हैं। प्रतिबंध और शासन परिवर्तन की अमेरिकी नीति बिलकुल असफल हो चुकी है क्योंकि इससे कई देशों का बहुत नुकसान हुआ है। इस बात को अब दुनिया के देश समझ चुके हैं," आग़ा ने टिप्पणी की।
विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि पूरी दुनिया को इस समय आर्थिक सहयोग की बहुत जरूरत है। रूस के पास बहुत आधुनिक तकनीक है इसलिए भारत और दूसरे देशों के साथ सह-उत्पादन और संयुक्त उत्पादन की जरूरत भी है। वहीं बहुध्रुवीय दुनिया का आविर्भाव भी होना चाहिए जो कि भारत और रूस दोनों चाहते हैं।"
यूक्रेन में जारी पश्चिमी छद्म युद्ध के संदर्भ में सवाल का जवाब देते हुए कि यह दुनिया को क्या दर्शाता है, विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि "रूस में राष्ट्रवाद की जड़ें बहुत गहरी है।"
"आम जनता में पुतिन काफी लोकप्रिय हैं क्योंकि उन्होंने रूस को बहुत कठिन समय से बाहर निकाला है। वहाँ की आम जनता इस बात को भली-भांति समझती है कि पश्चिमी देशों का मंसूबा यूक्रेन से युद्ध के माध्यम से रूस को कमजोर करने का है। पुतिन के कुशल नेतृत्व के कारण ऐसा नहीं हो पाया। यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता बढ़ी है और चुनाव नतीजे भी इस बात को दर्शाते हैं। रूस के अंदर पुतिन को राष्ट्रवादी और चर्च दोनों का समर्थन प्राप्त है इसलिए इनको हराना किसी शक्ति या व्यक्ति के लिए आसान काम नहीं है," आग़ा ने जोर देकर कहा।