गृह मंत्री ने स्थानीय मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भारत सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश (UT) से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को सिर्फ जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है।
शाह ने कहा, "हम सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम हटाने के बारे में भी सोचेंगे। पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।"
साथ ही उन्होंने कहा कि "पिछले पांच वर्षों में एक भी फर्जी मुठभेड़ नहीं हुई है। बल्कि फर्जी मुठभेड़ों में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।"
AFSPA क्या है?
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) अशांत क्षेत्रों में सक्रिय सशस्त्र बलों को "सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव" के लिए आवश्यक समझे जाने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियाँ देता है।
सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए AFSPA के तहत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है।
शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है।
पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों की ओर से इस विशेष अधिनियम को हटाने की मांग की गई है।
सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव की योजना
शाह ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। हालाँकि यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक ही सीमित नहीं रहेगा और जनता का लोकतंत्र होगा।"
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था।