व्यापार और अर्थव्यवस्था

रूसी हीरों पर पश्चिमी प्रतिबंध मित्र राष्ट्रों को प्रभावित करते हैं, मास्को को नहीं: जयशंकर

तीसरे देशों के माध्यम से रूस मूल के हीरों के आयात पर यूरोपीय संघ और G7 प्रतिबंध का प्रारंभिक चरण मार्च की शुरुआत में लागू हुआ था।
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भारत सरकार ने यूरोपीय संघ और G7 द्वारा रूस को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से रूसी मूल के बिना पॉलिश किए गए हीरों के आयात पर प्रतिबंध के मुद्दे का हल निकलने को प्राथमिकता दी है, क्योंकि इससे मुख्य रूप से सूरत हीरा पॉलिशिंग उद्योग को नुकसान होगा, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा।

"जी7 देशों की मंशा रूस को नुकसान पहुँचाना है जो भारतीय हीरा उद्योग के लिए चुनौतियां पैदा करेगा। हम इस मुद्दे पर सामूहिक रूप से और द्विपक्षीय आधार पर चर्चा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस मुद्दे को विभिन्न नेताओं के समक्ष उठाया है," जयशंकर ने टिप्पणी की।

इसके अलावा विदेश मंत्री ने रेखांकित किया कि "जिन देशों ने रूस पर प्रतिबंधों के तहत तीसरे देशों के माध्यम से रूस के कच्चे हीरे के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, वे केवल उपभोक्ता हैं और उनका रोजगार इस पर निर्भर नहीं है।"

जयशंकर ने कहा, "भारत का प्रयास प्रतिबंध के प्रारंभिक चरण में देरी करना, ढिलाई बरतना और सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसा बिल्कुल न होने देना है। हमारे लिए यह प्राथमिक मुद्दा बन गया है और हम आने वाले दिनों में इसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।"

साथ ही उन्होंने कहा, "भारत सरकार यूरोपीय संघ और G7 देशों को यह समझाने का प्रयास कर रही है कि उनका निर्णय रूस को नहीं, बल्कि तीसरे देश (भारत) को नुकसान पहुँचा रहा है।"
गौरतलब है कि रूस कच्चे हीरों का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। वहीं 90% कच्चे हीरों को भारत में तराशा जाता है।
भारत-रूस संबंध
भारत द्वारा रूस से हीरे के आयात में 28 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि
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