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भारतीय प्रवासियों ने भारत और हिंदुओं पर अमेरिका की पूर्वाग्रह से भरी रिपोर्ट की निंदा की

कई भू-राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि हाल के महीनों में अमेरिका ने भारत विरोधी एजेंडा अपनाया है। इसी कड़ी में पश्चिमी मीडिया में लगातार नई दिल्ली से धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति व्यवहार पर सवाल उठे हैं।
Sputnik
अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की एक प्रमुख संस्था 'फाउंडेशन फार इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज' (एफआइआइडीएस) ने भारत विरोधी चाल-ढाल और हिंदुओं को निशाना बनाने वाली पूर्वाग्रही रिपोर्टिंग के लिए अमेरिका की आलोचना की।
एफआइआइडीएस ने इस पर बल दिया कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) में हिन्दू सदस्य सम्मिलित नहीं हैं, इसलिए आयोग में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट के वार्षिक प्रकाशन को लेकर संतुलन नहीं है।

एफआइआइडीएस की नीति और रणनीति के प्रमुख खंडेराव कांड ने कहा, "विश्व में प्रत्येक छह लोगों में से एक व्यक्ति हिंदू है। आयोग में इसका प्रतिनिधित्व नहीं है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में विविधता लाने और उचित संतुलन रखने के मामले में यह एक बड़ी चूक है।"

पिछले महीने USCIRF द्वारा प्रकाशित हुई रिपोर्ट में कहा गया कि धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के मामलों की बढ़ती संख्या के कारण भारत "विशेष चिंता का देश" है।

खंडेराव कांड ने आगे कहा, "रिपोर्ट में संदर्भ ध्यान में नहीं रखा गया था। फिर रिपोर्ट एक निश्चित कथा का हिस्सा है, इसीलिए वह तथ्यात्मक रूप से पूर्ण नहीं होते हुए एक विवादास्पद रिपोर्ट बन जाती है। वह अनुमानतः भारत विरोधी है। अत्यंत खेद की बात है कि वह [रिपोर्ट] भारत को विशेष चिंता का देश बनने की सिफारिश कर रहा है।"

कांड ने ऐसे समय अमेरिका की आलोचना की जब पश्चिमी मीडिया में भारत को लेकर नकारात्मक बातें फैलाई जा रही हैं, जैसे भारत का मानवाधिकार रिकॉर्ड खराब है और अल्पसंख्यकों के साथ अनुचित व्यवहार हो रहा है। भारत में इस प्रकार के दावों पर कड़ी प्रतिक्रिया आई है।

राजस्थान में स्थित रणनीतिक मामलों के टैंक उसानास फाउंडेशन के सीईओ डॉ. अभिनव पंड्या ने पहले Sputnik India को बताया, "ये सभी भारत विरोधी रिपोर्टें और अल्पसंख्यक अधिकारों और लोकतांत्रिक पिछड़ेपन जैसे मुद्दों पर प्रचार मूल रूप से भारत पर दबाव डालने के लिए हैं।"

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