गुरुवार को जारी एक बयान में, एबीसी न्यूज ने स्वीकार किया कि अवनी डायस द्वारा किया गया यह दावा कि 1947 से ‘धर्मनिरपेक्षता’ भारतीय संविधान का हिस्सा है, झूठा है।
"भारत के नरेंद्र मोदी के पीछे की कहानी, जिसे मूल रूप से 5 जून को प्रसारित किया गया था, में अनुचित ढंग से यह निहित किया गया था कि भारत के मूल संविधान में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द सम्मिलित था," बयान में स्वीकार किया।
अवनी डायस ने पहले मोदी सरकार द्वारा "आलोचनात्मक रिपोर्टिंग" के कारण अपना वीजा रद्द किए जाने के बारे में झूठ बोला था। अब उन्होंने ‘भारत के नरेंद्र मोदी के पीछे की कहानी’ शीर्षक वाले एक वीडियो में झूठे दावे किए, जिनका उद्देश्य यह दिखाना था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की धर्मनिरपेक्षता किस प्रकार "संकट में" है।
वीडियो में अवनी डायस ने आरोप लगाया, “आपको बता दें कि जब 1947 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत की स्थापना हुई थी, तो इसके संविधान में लिखा गया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जिसका तात्पर्य है कि यह तटस्थ होना चाहिए और सभी धर्मों के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।”
मोदी के खिलाफ अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश में उन्होंने आगे दावा किया, "सेक्युलर शब्द पेज 33 पर बड़े अक्षरों में लिखा है।" हालाँकि 1950 में जब भारतीय संविधान लागू हुआ था, तब सेक्युलर शब्द उसका हिस्सा नहीं था।
बता दें कि भारत का संविधान 1947 में नहीं, अपितु तीन वर्ष बाद 1950 में लिखा गया था। 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा 1976 में बना।