कट्टरपंथी सिखों के वोटों के लालच में जस्टिन ट्रूडो ने न केवल खुद को बदनाम किया है, बल्कि भारत जैसे बड़े देश के साथ व्यापार को भी खतरे में डाल दिया है।
1977 में पंजाब के जालंधर ज़िले के एक गांव में पैदा हुआ हरदीप सिंह निज्जर 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के कुछ हफ्तों के बाद फ़रार हो गया। 18 महीने यूरोप में गुज़ारने के बाद वह 1997 में एक नकली नाम रवि शर्मा लेकर और बिना दाढ़ी के कनाडा पहुंचा लेकिन कनाडाई अधिकारियों ने उसे शरणार्थी का दर्जा देने से मना कर दिया।
कनाडाई अधिकारियों ने भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा उसे यातना देने के डॉक्टर के सर्टिफिकेट को भी नकली माना। कुछ ही दिन बाद उसने एक महिला से विवाह करके उसे अपना स्पॉंसर बनाकर कनाडाई नागरिकता पाने की कोशिश भी की लेकिन कनाडा ने उसे भी अस्वीकार कर दिया। इसके 10 साल बाद 2007 में निज्जर को कनाडा ने नागरिकता दी।
निज्जर ने कनाडा में प्लंबिंग का काम शुरू किया लेकिन खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ उसका मेलजोल बढ़ता गया। 2007 में भारत ने निज्जर पर लुधियाना के एक सिनेमाघर में हुए बम विस्फोट में उसका हाथ होने का आरोप लगाया जिसमें 6 लोग मारे गए थे।
1995 में चंडीगढ़ में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या का मुख्य आरोपी जगतार सिंह तारा पंजाब की बुड़ैल जेल से सुरंग बनाकर भाग निकला और पाकिस्तान पहुंच गया। निज्जर ने उससे पाकिस्तान में मुलाक़ात की, इस मुलाक़ात की एक फोटो बहुत चर्चित हुई जिसमें वह एके-47 लिए और तारा के साथ एक गुरुद्वारे की छत पर नज़र आ रहा है। निज्जर ने तारा के साथ बाद में थाईलैंड में भी मुलाक़ात की।
2016 में निज्जर का एक साथी मनदीप सिंह धालीवाल जो उसके साथ कनाडा में प्लंबिंग का काम करता था पंजाब में पकड़ा गया। धालीवाल ने स्वीकार किया कि उनकी योजना पंजाब में दोबारा खालिस्तानी आतंकवाद को ज़िंदा करने की है। उनकी योजना पाकिस्तान से हथियार मिलने के बाद कई हिंदू नेताओं की हत्या करने की थी।
धालीवाल ने यह भी स्वीकार किया कि निज्जर ने उसके सहित कई सिख युवकों को कनाडा में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इसी साल धालीवाल के मामले की जांच अपने हाथ में ले ली। भारत की जानकारी पर कनाडा की पुलिस ने भी निज्जर से तीन बार पूछताछ की और 2016 में ही निज्जर के बैंक खाते सील कर दिए गए और उसकी उड़ान पर रोक लगा दी गई।
भारत ने कनाडा में रह रहे अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला से भी निज्जर की साठगांठ के आरोप लगाए हैं। अर्श डल्ला कनाडा से डल्ला-दलबीर नाम का एक अपराधी गिरोह चलाता है और खालिस्तानी आतंकवादी गिरोहों से भी जुड़ा है। इसी साल भारत ने कनाडा से अर्श डल्ला की गिरफ्तारी की अपील की है। 2019 में निज्जर सरे, ब्रिटिश कोलंबिया के गुरु नानक सिख गुरुद्वारा का प्रमुख बन गया जहां से उसने खालिस्तान का प्रचार शुरू कर दिया।
निज्जर ने गुरुद्वारे में मारे गए खालिस्तानी आतंकवादियों की फोटो लगाई जिसमें एयर इंडिया के विमान कनिष्क को विस्फोट से उड़ाने के मुख्य षड़यंत्रकारी तलविंदर सिंह परमार की तस्वीर भी थी। 1985 में हुए कनिष्क विस्फोट में 329 लोग मारे गए थे जिसमें 268 कनाडाई नागरिक थे।
परमार को कनाडा की दो जांच रिपोर्ट में भी मुख्य आरोपी बनाया गया था। लेकिन गुरुनानक सिख गुरुद्वारा बड़ी संख्या में कनाडाई सिखों को प्रभावित करता है। सिख कनाडा की आबादी का 2.1 प्रतिशत हैं और 5 संसदीय क्षेत्रों में निर्णायक वोटिंग करते हैं। 15 दूसरे संसदीय क्षेत्रों में उनका प्रभाव है इसलिए ट्रूडो जैसे नेता अपनी खिसकती हुई सत्ता बचाने के लिए खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रति अपना मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं।
भारत ने कनाडा से कई बार खालिस्तानी आतंकवादियों पर लगाम लगाने की अपील की लेकिन ट्रूडो सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। दोनों देशों के बीच 1987 से प्रत्यर्पण संधि भी है लेकिन 2004 से अब तक भारत में वांछित केवल 6 व्यक्तियों का कनाडा से भारत प्रत्यर्पण हुआ है।