उत्तेजक मार्च के बाद कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों और भारतीय समुदायों के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
यह भड़काऊ मार्च उस घटना के बाद निकाला गया जब ओंटारियो के ब्रैम्पटन त्रिवेणी मंदिर ने भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को हिंसक विरोध प्रदर्शनों के "उच्च और आसन्न" खतरे का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था।
दरअसल त्रिवेणी मंदिर में हुई घटना 3 नवंबर को इसी तरह की घटना के बाद हुई है, जब खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में उपस्थित लोगों के साथ झड़प की थी, जो मंदिर और भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुआ था।
इसके बाद भारत सरकार ने कनाडा में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। पिछले सप्ताह भारत के विदेश मंत्रालय ने हिंदू पूजा स्थलों पर हमलों की निंदा की और कनाडाई अधिकारियों से जवाबदेही की माँग की।
बता दें कि कनाडा और भारत के बीच तनाव पिछले सितंबर से ही बढ़ रहा है, जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत में भारत की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें "बेतुका" करार दिया था। कनाडा के नागरिक निज्जर को भारत ने आतंकवादी घोषित किया था।