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ब्रिक्स का लक्ष्य विश्व को निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था देना न कि बांटना: लवरोव

लवरोव ने कहा कि सोची में रूस-अफ्रीका भागीदारी मंच का पहला मंत्रिस्तरीय सम्मेलन और 2023 में सेंट पीटर्सबर्ग में रूस-अफ्रीका शिखर सम्मेलन ने स्पष्ट रूप से उन रुझानों को परिप्रेक्ष्य में रखा जिन्हें अफ्रीका की दूसरी जागृति कहा जा सकता है।
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रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने गुरुवार को साक्षात्कार में ब्रिक्स नई विश्व व्यवस्था के बारे में बोलते हुए कहा कि ब्रिक्स UN चार्टर के मुख्य सिद्धांत देशों की संप्रभु समानता पर आधारित है और इसका उद्देश्य कभी भी तोड़ फोड़ करने का नहीं रहा है, अपितु एक नई, निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था स्थापित करना है।
लवरोव ने कहा, "ब्रिक्स का दुनिया को विभाजित करने का कोई इरादा नहीं है। यह उन देशों को एक साथ लाना चाहता है जो घनिष्ठ संबंध चाहते हैं ताकि वे उस भूमि पर रह सकें जो उन्हें भगवान और उनके पूर्वजों से मिली है, जैसे वे महान सभ्यताओं के रूप में रहते थे।"
संयुक्त राज्य अमेरिका के बारे में बात करते हुए लवरोव कहते हैं कि वाशिंगटन रूस को यह सिद्ध करने की अनुमति नहीं दे सकता कि वह एक मजबूत खिलाड़ी है और पश्चिम की प्रतिष्ठा को कमजोर कर सकता है। उन्हें यूक्रेन की परवाह नहीं है, उन्हें मात्र अपनी प्रतिष्ठा की परवाह है।

उन्होंने कहा, "रूस? यह एक बड़ा देश है लेकिन इसे नीचे लाया जाना चाहिए। यूक्रेनी लोगों के भविष्य के बजाय यह इसी बारे में है। उन्हें लोगों की परवाह नहीं है।दुनिया के आधे से अधिक देशों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, भले ही वे रूस, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया, ईरान और वेनेजुएला के विरुद्ध अपनाए गए प्रतिबंधों जितने कठोर न हों। पश्चिम के मौजूदा गुस्से के पीछे असली वजह यह है कि चीन तेज़ी से और आत्मविश्वास से संयुक्त राज्य अमेरिका से आगे निकल रहा है।"

रूसी विदेश मंत्री लवरोव ने आगे कहा कहते हैं कि अब हमारा मुख्य कार्य राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा निर्धारित सभी लक्ष्यों को प्राप्त करना है। आप पश्चिम की अपेक्षाओं से अवगत हैं। वे एक निश्चित सीमा पर शत्रुता को रोकने और एक युद्ध विराम का समन्वय करने के बारे में अटकलें लगा रहे हैं, ताकि 10 वर्ष बाद वे तय कर सकें कि क्रीमिया और डोनबास किसका है।

सर्गे लवरोव कहते हैं, "हमारा कार्य रूस के संविधान के साथ-साथ राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा परिभाषित उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए उसके हितों को बढ़ावा देना और उनका समर्थन करना है। यह यूक्रेन से आगे बढ़कर रूस की विदेश नीति अवधारणा पर भी लागू होता है।"

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