दुगिन महाशक्तियों के शासन को बहुध्रुवीयता से अलग बताते हैं। उनका कहना है कि यह न तो एकध्रुवीय है, न ही द्विध्रुवीय, बल्कि इससे परे कुछ है।
रूसी दार्शनिक के मुताबिक़ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सुधारों ने वैश्विक शक्ति संतुलन को नया रूप दिया है। 'द ऑर्डर ऑफ़ द ग्रेट पॉवर्स' में वैश्विक प्रभाव क्षेत्रों का पुनर्वितरण हुआ है।
उन्होंने कहा, "यह केवल उन राज्यों-सभ्यताओं को ध्यान में रखता है जो वर्तमान में इस समय मौजूद हैं, न कि वे जो भविष्य में गहरी जड़े जमाए हुए पहचानों के आधार पर उभर सकते हैं। ट्रम्प के साहसिक सुधारों से आकार लेते हुए द ऑर्डर ऑफ़ द ग्रेट पॉवर्स में वैश्विक प्रभाव क्षेत्रों का पुनर्वितरण शामिल है, जो कि टेट्रार्की अमेरिका, रूस, चीन और भारत के बीच है।"
दुगिन के मुताबिक़ यूरोप अब वैश्विक शक्ति संरचना में कमजोर है। यूरोपीय संघ का असर कम होता जा रहा है। यूरोपीय संघ की भविष्यवाणी अब कठिन हो गई है, और इसकी भूमिका संकुचित हो रही है।
उन्होंने कहा, "यूरोप हताश होकर एकध्रुवीय दुनिया से चिपका हुआ है, हालांकि जिसमें से आधारभूत तत्व USA को हटा दिया गया है।"
दुगिन ने यूरोपीय संघ के अस्तित्व पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि इसके भीतर की असहमति और राजनीतिक संकट इसे कमजोर बना रहे हैं। उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, "अब यह संभावना नहीं है कि यूरोपीय संघ बच पाएगा। तो, फिलहाल यह टेट्रार्की और याल्टा 2.0 की संभावनाएं हैं।"