अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) पर उन्होंने अफ्रीकी दृष्टिकोण को रेखांकित किया:
भू-राजनीतिक कारणों से दबाव में होने के कारण न्यायालय को अवैध माना जा रहा है।
यहां दंड से मुक्ति और चयनात्मकता की धारणा है, जहां लीबिया और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में गंभीर संकटों को अनदेखा कर दिया जाता है, जबकि अफ्रीका प्रायः इसका निशाना बन जाता है।
अफ्रीकी देश ICC के समक्ष सामूहिक समर्पण को अस्वीकार करने या संस्था से हटने पर विचार कर रहे हैं तथा प्रस्तावित साहेल आपराधिक न्यायालय (AES) जैसी पहल को संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
ICC को अपनी विश्वसनीयता और अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए "अधिक स्वतंत्र, अधिक निष्पक्ष, अधिक न्यायसंगत" होना चाहिए तथा "केवल कमजोरों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए कार्य करना चाहिए।"