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दुनिया एक नई विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ी, वहीं संयुक्त राष्ट्र सुधारों में असमर्थ: भारतीय विशेषज्ञ

प्रिमाकोव रीडिंग्स फोरम 23 और 24 जून को रूस की राजधानी मास्को में आयोजित किया जा रहा है। यह एक वार्षिक सम्मेलन है जिसमें दुनिया भर से अंतर्राष्ट्रीय संबंध और अर्थशास्त्र के क्षेत्र के शीर्ष विशेषज्ञ भाग लेते हैं।
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भारत के मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के निदेशक सुजान चिनॉय ने वैज्ञानिक और विशेषज्ञ मंच "प्रिमाकोव रीडिंग्स" के दौरान कहा कि वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ा विरोधाभास 1945 के बाद बनी वर्तमान विश्व व्यवस्था की अक्षमता है जो शक्ति संतुलन में बदलावों के अनुकूल काम नहीं कर रही है।

विशेषज्ञ ने कहा, "दुर्भाग्यवश, संयुक्त राष्ट्र लंबे समय तक स्थिर अवस्था में रहा है और स्वयं में सुधार करने में असमर्थ है। इससे संयुक्त राष्ट्र और भी अधिक अप्रभावी हो गया है।"

उन्होंने बताया कि यूरेशिया में नई क्षेत्रीय संरचनाएं प्रभावी ढंग से काम करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए पूर्ण सहमति जरूरी है जो हमेशा संभव नहीं है।

सुजान चिनॉय ने रेखांकित किया, "रणनीतिक साझेदारों के बीच भी अब अनिश्चितता और अप्रत्याशितता है। हम अब एक नई विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं, जहां पारदर्शिता का अभाव है।"

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