वाशिंगटन में बैठक के दौरान नेतन्याहू ने ट्रम्प से कहा, "राष्ट्रपति महोदय, मैं आपके समक्ष वह पत्र प्रस्तुत करना चाहता हूं जो मैंने नोबेल पुरस्कार समिति को भेजा था। इसमें आपको शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जिसके आप पूरी तरह हकदार हैं। आपको यह पुरस्कार मिलना चाहिए।"
ट्रम्प ने नेतन्याहू को धन्यवाद दिया तथा कहा कि उन्हें इस पहल के बारे में जानकारी नहीं थी।
इज़राइल ने 13 जून की रात को ईरान पर गुप्त सैन्य परमाणु कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाकर एक अभियान शुरू किया। इसमें ईरान पर हवाई बमबारी की गई जिसका लक्ष्य परमाणु सुविधाएं, जनरल, प्रमुख परमाणु भौतिक विज्ञानी और हवाई अड्डे थे।
ईरान ने आरोपों को खारिज़ कर दिया और अपने हमलों से जवाब दिया। दोनों पक्षों के बीच 12 दिनों तक सैन्य टकराव चलता रहा, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी 22 जून की रात को ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर एक बार हमला किया। इसके बाद तेहरान ने 23 जून की शाम को कतर में अमेरिकी बेस अल उदीद पर मिसाइल हमले किए, जिसमें कहा गया कि ईरानी पक्ष का आगे तनाव बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है। ट्रम्प ने तब आशा व्यक्त की थी कि कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमले से "तनाव कम हो गया है" तथा अब मध्य पूर्व में शांति और सद्भाव का मार्ग संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि इज़राइल और ईरान युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं, जिसके 24 घंटे बाद 12 दिन का युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया।
नोबेल शांति पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने कूटनीति, संवाद और अहिंसक तरीकों से शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ट्रम्प ने हाल ही में कुछ शांति पहलें प्रस्तावित की हैं, लेकिन इसके साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका ने 22 जून की रात को ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर एक बार हमला किया।