वित्तीय अर्थशास्त्र संकाय के डीन इगबाल गुलियेव ने कहा कि यूरोपीय संघ के रूस पर लगाए गए नए तेल प्रतिबंध, जिनमें रूसी तेल की ऊपरी मूल्य सीमा घटाना और तीसरे देशों से रूसी कच्चे तेल से बने उत्पादों के आयात पर रोक सम्मिलित है, यूरोपीय बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डालेंगे और ऊर्जा कीमतों में वृद्धि की संभावना बढ़ेगी।
गुलियेव ने कहा, “रूस से आने वाले तेल की कीमत पर सीमा घटाने का निर्णय एक राजनीतिक निर्णय है। लेकिन वित्तीय और आर्थिक दृष्टिकोण से इसका रूस की उद्योग और अर्थव्यवस्था पर वास्तविक प्रभाव सीमित रहेगा।”
उनके अनुसार, तेल पर मूल्य निर्धारण सीमा लगाने की अवधारणा अब अप्रासंगिक हो चुकी है।
गुलियेव ने कहा, "भारत, चीन और अन्य देशों सहित रूसी तेल के प्रमुख आयातक प्रारंभिक समय से ही इस व्यवस्था पर सहमत नहीं थे। वे वैकल्पिक आपूर्ति मार्गों को अपनाकर पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार कर रहे हैं।"