भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके समकक्ष सर्गे लवरोव की मास्को में मुलाकात हुई जिसमें दोनों नेताओं ने मास्को और नई दिल्ली के बीच संबंधों पर चर्चा की।
जयशंकर ने मीटिंग के बाद कहा कि बैठक में भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयाम की व्यापक समीक्षा की गई। हमारा मानना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत और रूस के बीच संबंध दुनिया के सबसे स्थिर संबंधों में से एक रहे हैं।
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, "व्यापार और आर्थिक सहयोग के संबंध में मैंने मंत्री लवरोव के साथ कल हुई अंतर-सरकारी आयोग की बैठक की कार्यवाही पर चर्चा की, जिसकी अध्यक्षता मैंने प्रथम उप प्रधान मंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ की थी।"
उन्होंने आगे बताया कि रूस को भारत के निर्यात को बढ़ाने सहित संतुलित और सतत तरीके से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने की अपनी साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की। इसके लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक बाधाओं का शीघ्र समाधान आवश्यक है।
जयशंकर ने कहा, "फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने से निश्चित रूप से वर्तमान असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी। उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं। भारतीय कुशल श्रमिक, विशेष रूप से आईटी, निर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्र में रूस की श्रम आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, व्यापार और निवेश के माध्यम से ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।"
इसके अलावा दोनों देशों के बीच के गलियारों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग में सहयोग सहित कनेक्टिविटी पहलों पर भी बात की।
भारतीय मंत्री ने कहा, "ये गलियारे आर्थिक संबंधों को गहरा करने, पारगमन समय को कम करने और यूरेशिया और उससे आगे व्यापार पहुंच का विस्तार करने का वादा करते हैं।"
इसके अलावा उन्होंने कहा कि वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग पर दोनों पक्षों ने वैश्विक शासन में सुधार के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के साथ साथ समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार और सक्रियता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया और जी20, ब्रिक्स और एससीओ में हमारा सहयोग गहरा और दूरदर्शी बना हुआ है।
वहीं लवरोव ने जयशंकर से मुलाकात के बाद एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत और रूस ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का स्वागत किया है और इसके अलावा उन्होंने कहा कि पुतिन-मोदी बैठक के लिए भारत और रूस दस्तावेजों का बड़ा पैकेज तैयार करेंगे।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने अलास्का शिखर सम्मेलन के संदर्भ में यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की। इसके साथ साथ भारत और रूस रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में संयुक्त ऊर्जा उत्पादन में रुचि रखते हैं।
लवरोव से मुलाकात से पहले रूसी उप-प्रधानमंत्री मंटुरोव के साथ जयशंकर की बैठक बहुत ही फलदायी रही।