जयशंकर ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा, "अगर आपको भारत से तेल या तेल उत्पाद खरीदने में समस्या है तो मत खरीदिए। कोई आपको मजबूर नहीं कर रहा। यूरोप खरीद रहा है, अमेरिका खुद खरीद रहा है। अगर पसंद नहीं है तो मत खरीदिए।"
अमेरिका ने भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते अतिरिक्त 25% सेकेंडरी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 25% शुल्क लगाया था, क्योंकि उनका मानना है कि भारत अमेरिकी कंपनियों पर अधिक आयात शुल्क लगा रहा है और रूस के साथ सहयोग कर रहा है। ये नया अतिरिक्त शुल्क 27 अगस्त से लागू होगा।
व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में कहा था कि भारत को घरेलू जरूरतों के लिए रूसी तेल खरीदने की जरूरत नहीं है, और भारतीय सामान खरीदने वाले अमेरिकी उपभोक्ताओं का पैसा अंततः रूस तक पहुंच रहा है।
हालांकि भारतीय पक्ष का कहना है कि तेल खरीद पूरी तरह से राष्ट्रीय हित में है और इसका वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने में भी योगदान है।
दोनों देशों के बीच नया व्यापारिक समझौता करने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन सबसे बड़ी बाधा जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों के लिए अपने कृषि बाजार को खोलने का अमेरिकी दबाव है। भारत ने इसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है कि यह किसानों और खाद्य सुरक्षा के लिए हानिकारक है।
हालाँकि नई दिल्ली और वॉशिंगटन दोनों ही समाधान की तलाश में हैं, लेकिन यह मुद्दा अब भी किसी समझौते को अंतिम रूप देने में सबसे बड़ी रुकावट है।