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इंडोनेशिया में प्रदर्शन: अब तक क्या पता चला है

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने बढ़ते असंतोष को देखते हुए अपनी चीन यात्रा रद्द कर दी है, जहाँ वे SCO शिखर सम्मेलन और 3 सितंबर को विजय दिवस परेड में शामिल होने वाले थे।
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इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनता की नाराज़गी स्वीकार की और सांसदों के भत्तों में कटौती तथा महंगी विदेशी यात्राओं पर रोक लगाने का ऐलान किया।
राष्ट्रपति प्रबोवो ने कहा, “लोगों की अपेक्षाएँ बिल्कुल सही हैं। हमें सरकारी खर्चों को मितव्ययी और जवाबदेह बनाना होगा। सांसदों के भत्तों में कमी लाई जाएगी और महंगी विदेशी यात्राओं पर अस्थायी रोक लगाई जाएगी।”
प्रदर्शनकारियों का मुख्य आरोप है कि सांसदों की भारी-भरकम तनख्वाह और भत्ते आम लोगों की आय और राष्ट्रपति प्रबोवो के मितव्ययिता के वादों से मेल नहीं खाते।
इंडोनेशिया में 25 अगस्त से शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने पूरे देश को हिला दिया है। राजधानी जकार्ता में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर धावा बोलने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस से उनकी झड़प हो गई।

अब तक मुख्य बातें:

25 अगस्त को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। जकार्ता में काले कपड़ों में प्रदर्शनकारियों ने संसद पर पथराव किया और पुलिस पर पटाखे फेंके।
प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर जकार्ता के छात्र शामिल थे। आयोजन समूह गेजयान मेमांगगिल के अनुसार, उनकी मुख्य माँग सांसदों के वेतन में कटौती है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, सांसदों को हर महीने 100 लाख रुपिया (करीब 6,150 डॉलर) वेतन और मोटे आवास भत्ते मिलते हैं, जो औसत आय से कई गुना अधिक है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इतनी ऊँची तनख्वाह राष्ट्रपति प्रबोवो की सख्त मितव्ययिता और खर्चों में कटौती की नीतियों के विपरीत है।
इंडोनेशिया करप्शन वॉच समेत कई स्थानीय एनजीओ लंबे समय से सांसदों की कमाई की आलोचना कर रहे हैं।
हालात तब बिगड़ गए जब पुलिस कार्रवाई के दौरान एक मोटरसाइकिल टैक्सी चालक की मौत हो गई।
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